एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के खाली रह जाने वाले पदों को डी-आरक्षित करने का मसौदा दुर्भाग्यपूर्ण : आशीष कुमार

एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के खाली रह जाने वाले पदों को डी-आरक्षित करने का मसौदा दुर्भाग्यपूर्ण : आशीष कुमार
अक्स न्यूज लाइन नाहन 29 जनवरी : 

दलित शोषण मुक्ति मंच जिला सिरमौर के संयोजक आशीष कुमार और जिला कमेटी सदस्य  राजेश तोमर ने जारी एक प्रेस ब्यान मे कहा कि भारत सरकार और उसका यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को मिलने वाला आरक्षण समाप्त करने की फिराक में है।
आशीष कुमार ने कहा कि भले ही अब  भारत सरकार और यूजीसी को अब इस सिलसिले में सफाई देनी पड़ी है। परन्तु पिछले समय जो घटनाक्रम चल रहा था। उससे साफ-साफ यू जी सी का आरक्षण विरोधी रवैया सामने आ जाता है । उच्च शिक्षण संस्थानों में  आरक्षण का ये मुद्दा तब चर्चा में आया जब  यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गाइडलाइन से जुड़ा एक मसौदा सार्वजनिक हुआ। इस मसौदे में टीचिंग स्टाफ की भर्ती से जुड़े एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के खाली रह जाने वाले पदों को डी-आरक्षित करने की बात थी। कहने का अर्थ ये था कि अगर आरक्षित सीटें खाली रह जाएं, यानी उन पर उचित उम्मीदवार न मिले तो उस सीट को कुछ खास परिस्थितियों में सामान्य घोषित कर दिया जायेगा। 
आशीष कुमार और राजेश तोमर ने कहा कि हमारे पहले के अनुभवों मे यही देखने को मिला है की विभाग  अनेकों बार योग्य उम्मीदवार होने के बाद भी  किसी उचित उम्मीदवार न मिलने का  हवाला दे कर हजारों पदों  को खाली छोड़ देता है। यदि  आयोग का ये मसोदा लागु होता  है तो अनुसूचित जाति जनजाति  और पिछड़ा वर्ग के पहले के भी हजारों पद डी  आरक्षित हो जाएगे  ।  दलित शोषण मुक्ति मंच इसका पुरजोर विरोध करता है। जिला संयोजक आशीष कुमार ने कहा की भले ही अब विश्वविद्यलाय अनुदान आयोग इससे पल्ला झाड़ रहा हो परन्तु इससे सरकार के और यूजीसी  के दलित विरोधी इरादे सामने आ जाता है ।