बंजार बठाहड़ सड़क मार्ग पर एफडीआर तकनीक से विस्तारीकरण कार्य का ट्रायल शुरू

बंजार बठाहड़ सड़क मार्ग पर एफडीआर तकनीक से विस्तारीकरण कार्य का ट्रायल शुरू
अक्स न्यूज लाइन तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती) 26 अक्टूबर : 
 जिला कुल्लू उपमंडल बंजार की सड़कों का पुर्ननिर्माण कार्य पहली बार फुल डैप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) पूर्ण गहराई सुधार एक नई तकनीक से हो रहा है। तीर्थन घाटी की करीब बीस किलोमीटर लंबी बंजार से बठाहड़ मुख्य सड़क मार्ग के विस्तारीकरण कार्य का ट्रायल देहूरी में किया गया है। सड़क के करीब 100 मीटर लंबे पैच पर इस कार्य को चंडीगढ़ की गर्ग सांस एस्टेट कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है। इस तकनीक से जहां सड़क की गुणवत्ता बेहतर होगी, वहीं पर्यावरण को बचाने में भी एफडीआर तकनीक कारगर है। लोक निर्माण विभाग ने सरकार द्वारा लाई गई इस तकनीक को धरातल पर उतारने की प्रकिया शुरू कर दी है।
उपमंडल बंजार में तीर्थन घाटी की मुख्य संपर्क सड़क को एफडीआर तकनीक से बनाने का कार्य शुरू हो गया है। इसमें पुरानी सड़क की टायरिंग को उखाड़कर गटका, मिट्टी सीमेंट और रसायन व अन्य सामग्री को मिलाकर तैयार किया जाता है, जिससे सड़क का पुनर्निर्माण किया जाता है।
लोक निर्माण विभाग बंजार मंडल के अधिशाषी अभियंता चमन ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि बंजार से बठाहड़ सड़क का विस्तारीकरण नई तकनीक एफडीएआर के अनुसार किया जाएगा जिसके तहत 20 किलोमीटर सड़क को चौड़ा करने के साथ ही इसमें टायरिंग भी की जाएगी। इस सड़क के पुनर्निर्माण में पर्यावरण संरक्षण के साथ गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इन्होंने बताया कि देहूरी में इस तकनीक से बनने वाली सड़क का ट्रायल किया गया है जिसके सैंपल लेकर विभिन्न प्रयोगशालाओं में भेजे जा रहे है जहां से परीक्षण का नतीजा आने के बाद इस सड़क का निर्माण कार्य बठाहड़ तक जोरों से किया जाएगा। 
तीर्थन घाटी के पर्यटन कारोबारी हुमिश प्रभात का कहना है कि तीर्थन घाटी की इस मुख्य सड़क के चौड़ा होने से यहां पर देसी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही सुगम होगी। सड़क के पूर्णतया तैयार होने पर यहां पर पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और स्थानीय लोगों को घर द्वार पर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
नई तकनीक एफडीआर से इस सड़क निर्माण कार्य की जिम्मेवारी संभाले गर्ग संज एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर इंजीनियर रघुवीर सिंह ने बताया कि यह तकनीक भारत में सड़कें बनाने में बेहद कारगर है। शुरुआती दौर में यह तकनीक से उत्तर प्रदेश में आई थी। इन्होंने कहा कि हिमाचल के जिला कांगडा में पहले से इस तकनीक से सड़कों का निर्माण कार्य चल चुका है। इस तकनीक के तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पुरानी सड़क को उखाड़ कर जो सामग्री निकलेगी उसे अलग-अलग करके साफ किया जाएगा। फिर केमिकल की मदद से बजरी, गटका, रेत, सीमेंट और पानी का मिश्रण तैयार करके सड़क के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्होंने बताया कि इस कार्य को धरातल स्तर पर उतारने से पहले कंपनी यहां से सैंपल लेकर इसे रुड़की की प्रयोगशाला में भेजेगी। वहां से सैंपल रिपोर्ट आने के बाद इस सड़क का कार्य जोरों से शुरू किया जाएगा। इस मौके पर अधिशासी अभियंता चमन ठाकुर, एसडीओ कीर्तिमान ठाकुर, कनिष्ठ अभियंता, सड़क निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारी, कर्मचारी और विभिन्न राजनैतिक दलों के सदयगण विशेष रूप से उपस्थित रहे।