जीएसटीआईएन के.......... इनपुट टैक्स क्रैडिट मामलों में ब्लॉक किए नम्बरों को अन ब्लॉक कर दिए जाने का मामला
- कराधान विभाग द्वारा पूर्व में करोड़ो टैक्स धांधली के मामलों में ब्लॉक कर दिए थे नम्बर
नाहन, 6 अगस्त : आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा पूर्व में करोड़ो टैक्स धांधली के मामलों में ब्लॉक कर दिए गए जीएसटीआईएन नम्बरों से सम्बधित इनपुट टैक्स क्रैडिट (आईटीसी) अचानक अन ब्लॉक कर दिए जाने के मामले का खुलासा हुआ है। मीडिया क ो मिले पुख्ता सबूतों के आधार कराधान विभाग में 8 अपै्रल 2022 को एक दिन में आईटीसी से सम्बधित ब्लॉक हुए करीब 400 नम्बर अन ब्लॉक हुए या मिली भगत के चलते कर दिए गए। यह जांच का विषय है। हैरानी की बात यह है। कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी क रोड़ों के टैक्स से जुड़े इस मामले की विभाग के आला अधिकारियों को भनक नही लगी या फिर मामले को दबा दिया गया है। विभाग के भरौसेमंद सुत्रों ने बताया कि अन ब्लॉक हुए 80 प्रतिशत मामले सोलन, सिरमौर, ऊ ना की औद्योगिक इकाईयों के है जबकि 20 प्रतिशत राज्य के अन्य हिस्सों मामले बताए जाते है।
जीएसटीआईएन नम्बरों से सम्बधित इनपुट टैक्स क्रडिट के मामले ऐसे है जिनमें जाली यूनिटस टैक्स धांधली के लिए उद्योगों में बने थे। इन यूनिटस ने पुर्व में करोड़ों के टैक्स हैराफेरी को अंजाम दिया था जब यह मामला विभाग के संज्ञान में आया तो सम्बधित जीएसटीआईएन नम्बरों ब्लॉक कर दिया गया था। यह भी जानकारी मिली है कि जीएसटीआईएन नम्बरों से सम्बधित इनपुट टैक्स क्रैडिट के मामले अभी अदालत में विचाराधीन है। अनब्लॉक हुए जीएसटीआईएन नम्बरो से करीब 100 करोड़ का टैक्स रिकवरी से जुड़ा है लेकिन विभाग के सुत्र इस आंकडे को 20-25 करोड़ तो मान रहे है। नाम न छापने की शर्त पर विभाग के एक सिनियर अफसर ने बताया कि ब्लॉक हुए इनपुट टैक्स कै्रडिट केमामले में जीएसटीआईएन नम्बरों को तय प्रक्रि या अपनाए कोई भी अधिकारी या कर्मचारी एक दिन में अन ब्लॉक नही कर सकता।
सक्षम अधिकारी जिसको ब्लॉक करने का अधिकार मिला है वो ही कानूनी व तकनीकी औपचारिकता पूरी करने के बाद ही किसी ब्लॉक नम्बर को अन ब्लॉक कर सकता है। यही नही विभागीय रिकवरी कोर्ट के नोटिस जारी होते है साथ में सक्षम अधिकारी पोर्टल पर अपने सिग्नेचर पासवर्ड के साथ लॉग इन करके इस प्रक्रि या को अपलोड़ करता है तब कही जाकर नम्बर अनब्लॉक होता है। जीएसटीआईएन नम्बरों को जिला स्तर पर ही अलॉट किया जाता है। विभाग हैडक्वाटर पर ऐसा कुछ नही करता तो हैडक्वाटर पर नम्बरों को ब्लॉक या अनब्लॉक नही हो सकते ऐसे इस मामले क ी जांच करवाई जानी चाहिए सच सामने आ सके।