खनन माफिया को कौन दे रहा संरक्षण कि मंत्री भी आ रहे हैं बेबस नजर : जयराम ठाकुर
जयराम ठाकुर ने कहा कि उपमुख्यमंत्री के अपने जिले में हो रहे खनन को लेकर लोगों द्वारा जनहित याचिका दायर करनी पड़ी है। जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा खड़ा संज्ञान लेकर सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है। जब खनन माफियाओं के खिलाफ प्रशासन सुनवाई नहीं करेगा तो आम आदमी के पास न्यायालय के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता है। लेकिन यह सरकार की नाकामी है, सरकार से लोगों का भरोसा उठ जाने का प्रतीक है। जब किसी भी अवैध कारगुज़ारी पर प्रशासन मौन होता है तो यह साफ है कि उसे संरक्षण शासन से मिल रहा होता है? ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे खनन माफियाओं को किसका संरक्षण है कि उसके आगे प्रदेश का उपमुख्यमंत्री भी बेबस हैं और प्रदेश के लोगों को न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। सबसे हास्यास्पद बात यह है कि जिन नेताओं ने पिछले पांच साल अवैध खनन के झूठे आरोपों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाई वही लोग खनन माफियाओं के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। सरकार का खनन माफिया के सामने इस प्रकार घुटने टेक देना शर्मनाक है। और ऐसे मामलों में लोगों का कानून की शरण लेना यह बताता है कि सरकार माफियाओं के हाथ की कठपुतली बन गई है। यह शर्मनाक है।
व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार ऑक्सीजन के पीएसए प्लांट तक नहीं चला पा रही
जयराम ठाकुर ने कहा कि एक हमारी सरकार ने कोविड के समय में प्रदेश में 47 ऑक्सीजन प्लांट बनाए जिससे अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई निर्बाध रूप से होती रहे। अब व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार आई है जो नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करना तो दूर पुराने और चले हुए ऑक्सीजन प्लांट में तकनीकी सहायक भी उपलब्ध नहीं कर पा रहीहै। आज समाचारों के माध्यम से पता चला कि पीएसए प्लांट चलाने वाले 29कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।एक तरफ पूरे देश में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) के संभावित खतरों से निपटने के लिए अलर्ट मोड पर है तो दूसरी तरफ हिमाचल की व्यवस्था परिवर्तन वाली बड़बोली सरकार ऑक्सीजन पीएसए प्लांट चलने वाले कर्मियों को ही नौकरी से निकाल दिया है। यह वही लोग हैं जो हर साल 1 लाख युवाओं को नौकरी देने के नाम पर सत्ता में आए थे और आज हर दिन लोगों को नौकरी से निकालने के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं।