एसएफआई ने विश्वविद्यालय में Ph.D मे हुई फर्जी एडमिशन को लेकर DS से की मुलाकात
अक्स न्यूज लाइन शिमला 01 अप्रैल :
एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय में Ph.D मे हुई फर्जी एडमिशन को लेकर DS से मिले और पिछले लम्बे समय से विश्वविद्यालय में देख रहे हैं। विश्वविद्यालय में लगातार भर्ती प्रक्रिया में धांधली हो रही है। 2021 के अंदर जब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सिकंदर कुमार VC थे उस समय अपने बच्चों की एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय के अंदर सुपरनुमैररी सीट क्रिएट की गई और अपने बच्चों को एडमिशन दिलाई । पिछले लंबे समय से देख रहे हैं की विश्वविद्यालय में चाहे वह प्रोफेसर भर्ती हो या Ph.D में एडमिशन हो जो भी सरकार सत्ता में आती है वह अपने चाहते को उसके अंदर भरने का काम कर रही है और विश्वविद्यालय का जो प्रशासन है वह सरकार के दबाव में आकर विश्वविद्यालय की ऑटोनॉमी को साख में रखकर फर्जी एडमिशन करवा रहा है।
हम देखते हैं कि आए दिन पीएचडी के अंदर गलत तरीके से सबमिशन कराई जाती है और जो प्रशासन के चहते हैं उन लोगों की जो एड्मिशन है उसे समय से पहले करवाया जा रहा है आज के समय के अंदर हम देख रहे हैं कि कॉमर्स डिपार्टमेंट के अंदर शेड्यूल ट्राइब (ST)की जो सीट थी उसे जनरल कैटेगरी के अंदर भरा गया और बिना किसी एडवर्टाइजमेंट के और ऑर्डिनेंस को सखा पर रखकर और यूजीसी की गाइडलाइन का वायलेशन करके उस एडमिशन को कराया गया। किस प्रकार से आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की जा रही है और हम यह चीज भी देखते हैं कि जो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है उसके अंदर भी आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की जा रही है और साथ ही विश्वविद्यालय के अंदर जोड़ा भी कुछ ले वर्क का छात्र है। उसके साथ भी वहां पर भेज दो आप किया जा रहा है पिछले लंबे समय से हम देख रहे हैं प्रशासन के अंदर जो अधिकारी है वह अपने चाहिता को एडमिशन कराने के लिए आम छात्र के साथ जो है खिलवाड़ करने का काम विश्वविद्यालय के अंदर कर रहे हैं।
एसएफआई ने ऐसे पहने कॉमर्स डिपार्टमेंट में यह जो फर्जी एडमिशन कराई गई है उसको डीएसके संज्ञान में लाया है और इस एडमिशन को जल्द से जल्द रद्द किया जाए और जो डिपार्टमेंट का चेयरमैन है उसे भी पद से हटाया जाए अगर आने वाले समय में इसके ऊपर कोई संज्ञान नहीं लिया जाता है तो एसएफआई विश्वविद्यालय के अंदर एक उग्र आंदोलन करेगी और आम छात्रों को लामबंद करते विश्वविद्यालय प्रशासन का घेराव करेगी जिसका जिम्मेवार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा।