आठवीं बाबा भलकू स्मृति कालका शिमला रेल साहित्य यात्रा का पहला दिन, 31 लेखकों ने लिया भाग

रेल यात्रा के आरम्भ होने से पहले बतौर मुख्य अतिथि पधारे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने इस रेल यात्रा में देशभर से पधारे 31 लेखकों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने इस साहित्यिक यात्रा को रेलवे द्वारा महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करने के लिए रेलवे के अधिकारियों को भी सम्मानित किया। तत्पश्चात उन्होंने हरी झंडी दिखाकर इस यात्रा को रवाना किया और स्वयं भी समरहिल तक यात्रा की। उनके साथ उनकी सुपुत्री प्रोफेसर दीपाली और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ गोपाल बैरी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस आयोजन का खूबसूरत संचालन और संयोजन जाने माने कवि आलोचक और मोटीवेटर जगदीश बाली ने किया।
मुख्य अतिथि ने हिमालय मंच, विशेषकर हरनोट की बाबा भलकू और कामगारों की स्मृति में इस तरह की पहल की सराहना की और कहा कि भलकू एक निरक्षर दिव्य शक्तियों का मालिक मजदूर था जिसने शिमला से किन्नौर तक हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सतलुज पर कई पुलों को बनाने में मदद की। बाद में जब अंग्रेज कालका-शिमला रेल के लिए पटरी के सर्वेक्षण में असफल हुए तो भलकू ने ही परवाणू से शिमला तक न केवल सर्वे किया बल्कि बड़ोग जैसी सर्वाधिक लंबी सुरंग के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि हिमालय साहित्य मंच पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने लेखकों से भी आह्वान किया कि वह नशाबंदी के लिए भी अपनी कलम चलाएं ताकि हम आने वाली पीढ़ी को एक बेहतरीन समाज दे सकें। यही कारण रहा कि रेलवे ने ओल्ड बस स्टैंड के साथ भलकू की स्मृति में एक म्यूजियम की स्थापना भी की। मशोबरा के साथ जो लिंक रोड ठियोग की तरफ निकलता है उसका नाम ही भलकू रोड है। उन्होंने कहा कि सरकार भलकू की याद में कंडाघाट हाईवे पर एक विशाल गेट भी लगा रही है। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण चलती ट्रेन और बस में साहित्यिक गोष्ठियां हैं जिससे साहित्य को बढ़ावा मिलता है और कालका-शिमला रेलवे का प्रचार प्रसार भी होता है।
पहले सत्र में पिछली यात्रा में आई प्रख्यात लेखिका और पत्रकार रोमी अरोड़ा के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई जिसमें उनके पतिदेव विख्यात कवि और रंगकर्मी राजेश अरोड़ा ने उनकी स्मृति में सोने कविता संग्रह "चिट्ठियां" में से बहुत सी कविताएं पढ़ीं। इसके बाद डॉ विजय लक्ष्मी, अंजू आनंद, डॉ देव कन्या ठाकुर और हितेंद्र शर्मा ने अपने-अपने कविता संग्रहों गांव पूछता है, नजरबंद लम्हें, शारंग और संवाद में से रचनाओं का पाठ किया। इस सत्र का संयोजन और संचालन दीप्ति सारस्वत प्रतिमा ने बहुत ही खूब अंदाज से किया।
यात्रा में यह लेखक रहे शामिल
यात्रा में शामिल होने वाले लेखकों में मुंबई से प्रो.हूबनाथ सिंह, रमण मिश्र, डॉ.अर्जुन घरत, डॉ.प्रमोद यादव, डॉ. शशि श्रीवास्तव, मध्य प्रदेश गुना से मधुर कुलश्रेष्ठ और नीलम कुलश्रेष्ठ, कानपुर से राजेश अरोड़ा, फिरोजपुर से हरीश मोंगा, चंडीगढ़ से सुनैनी शर्मा, कीरतपुर पंजाब से सीमा गौतम, सुंदरनगर से प्रियंवदा शर्मा, कांगड़ा से रचना पठानिया, बिलासपुर से अनिल शर्मा नील, सोलन से अंजू आनंद, कुमारसैन से जगदीश बाली और हितेंद्र शर्मा, शिमला से डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी, सलिल शमशेरी, दक्ष शुक्ला, स्नेह नेगी, जगदीश कश्यप, लेखराज चौहान, दीप्ति सारस्वत, डॉ. देव कन्या ठाकुर, वंदना राणा, हेमलता शर्मा, शांति स्वरूप शर्मा, वीरेंद्र कुमार, जगदीश गौतम और यादव चंद शामिल रहे।