अक्स न्यूज लाइन कुल्लू, 15 फरवरी :
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कुल्लू द्वारा "आपदाओं में मानसिक स्वास्थ्य एवं मनो-सामाजिक सहायता" विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बचत भवन, डीसी कार्यालय, कुल्लू में आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में फ्रंटलाइन विभागों, आपदा प्रतिक्रिया एजेंसियों, आपदा मित्रों और विभिन्न संगठनों के स्वयंसेवकों सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
समापन अवसर पर उपायुक्त तोरुल रवीश ने प्रतिभागियों को इस कार्यशाला का अनुभव ज़मीनी स्तर पर प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया।
इस प्रशिक्षण में वरिष्ठ नागरिकों से लेकर युवा स्वयंसेवकों तक विभिन्न आयु वर्ग के लोग शामिल हुए। इस प्रशिक्षण में आपदाओं से जुड़ा अनुभव साझा करना और उनका संदर्भ समझना, आपदा के संदर्भ में जोखिम को समझना, आपदा प्रभावित लोगों पर आपदाओं के प्रभाव, प्रभावित व्यक्तियों और समुदायों की आवश्यकताएँ एवं सहयोग चक्र, कमजोर वर्गों की विशेष आवश्यकताएँ और समान अवसर, मनो-सामाजिक देखभाल प्रदान करने के दृश्यमान एवं अदृश्य पहलू, सामान्य और असामान्य प्रतिक्रियाओं को समझना, मनो-सामाजिक देखभालकर्ता की भूमिका, आपदा प्रभावित महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव एवं उनके लिए कार्य करने की रणनीतियाँ, आत्म-देखभाल और तनाव प्रबंधन के सुझाव जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर उपायुक्त कुल्लू, तोरूल एस. रवीश ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कुल्लू जिला नियमित रूप से आपदाओं का सामना करता है, और वर्ष 2023 की बाढ़ से हमने बहुत कुछ सीखा। हालांकि, आमतौर पर हम सड़कों, पुलों और घरों के पुनर्निर्माण की बात करते हैं, लेकिन आपदाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पर चर्चा कम होती है। उन्होंने आगे कहा कि आपदा प्रभावित परिवारों के लिए मनो-सामाजिक सहायता भी आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डूअर्स, शिमला से नवनीत यादव और अनुराधा भारद्वाज विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए और प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। डीडीएम ए कुल्लू के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण समन्वयक राकेश कुमार ने बताया कि भविष्य में भी इस प्रकार की कार्यशालाएँ संबंधित विभागों और अन्य एजेंसियों के लिए आयोजित की जाएंगी। यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आपदा प्रबंधन के मानसिक और सामाजिक पहलुओं को समझने और प्रभावी सहायता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा। प्रशिक्षण से प्रतिभागियों को न केवल मनो-सामाजिक सहायता तकनीकों की जानकारी मिली, बल्कि स्वयं की देखभाल और तनाव प्रबंधन के लिए भी उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए।