ऊना में सुरक्षित निर्माण अभ्यास पर कार्यशाला आयोजित

राजन शर्मा ने बताया कि इस दौरान उपस्थित व्यक्तियों को अपने आसपास के समुदायों को आपदाओं के प्रति जागरूक और उन्हें प्रशिक्षित करने पर बल दिया गया ताकि किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान वे सही तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन जिला प्रशासन के प्रयासों का हिस्सा हैं, जो जिले के लोगों को अधिक सुरक्षित और सक्षम बनाने के लिए किए जा रहे हैं।
भूकंप सुरक्षा और भवन निर्माण पर चर्चा
कार्यशाला में डॉ. हेमंत कुमार विनायक, एसोसिएट प्रोफेसर, एन.आई.टी. हमीरपुर ने अपने पहले सत्र में 4 अप्रैल 1905 के कांगड़ा भूकंप के दौरान भवनों को हुए भारी नुकसान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भूकंप जानलेवा नहीं होते, बल्कि असुरक्षित और कमजोर निर्माण जानलेवा साबित होते हैं। उन्होंने उपस्थित सभी तकनीकी विशेषज्ञों से अपील की कि वे राष्ट्रीय भवन कोड-2016 का पालन करते हुए भूकंपरोधी भवन निर्माण पर जोर दें। साथ ही, उन्होंने म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप का उदाहरण देते हुए कहा कि भूकंप की तीव्रता अधिक होने पर भी सही निर्माण पद्धतियों से बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि को रोका जा सकता है।
दूसरे सत्र में आपदा प्रबंधन पर चर्चा
दूसरे सत्र में हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल कांगड़ा के मुख्य आरक्षी अजय ने भूकंप के बाद खोज और बचाव कार्य, प्राथमिक उपचार और आपदा प्रबंधन के अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक प्रभावी प्रतिक्रिया कार्यबल और स्थानीय समुदाय का सही प्रशिक्षण और तैयारियों से आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता और मात्रा की सही निगरानी जरूरी है ताकि निर्माण कार्यों में कोई कमी न हो।
इस मौके पर प्रभारी, जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र ऊना धीरज कुमार, कन्वीनर जिला अंतर एजेंसी समूह कांगड़ा डॉ हरजीत भुल्लर, सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित रहे।