नाहन शहर के सीवरेज सिस्टम लिए 144 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिलने पर बोले बिंदल...... कहा पूर्व भाजपा सरकार सीवरेज प्रणाली की इन-प्रींसिपल अप्रूवल दी थी.....
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन 01 अगस्त - 2023
नाहन हिमाचल प्रदेश के सबसे पुराने नगरों में से एक है और एकमात्र जिला मुख्यालय है जहां पर सीवरेज प्रणाली नहीं है। वर्ष 2012 में विधायक बनने के बाद नाहन को माकूल मात्रा में जल मिले इसके लिए बड़े प्रयास शुरूहुए। सर्वप्रथम पुरानी दोनों योजनाओं का नवीनीकरण किया और उसके बाद गिरी नदी से नई योजना बना कर नाहन शहर को माकूल मात्रा में पानी दिया। हम सभी को मालूम है कि एक क्षेत्र में जब तक माकूल पानी न हो तक तक सीवरेज सिस्टम नहीं चल सकता।
मीडिया को जारी एक बयान में क्षेत्र के पूर्व विधायक डा.राजीव बिंदल ने कहा कि हमने लगभग सात वर्षों तक नाहन शहर में सीवरेज सिस्टम बनाने के लिए सम्पूर्ण कार्रवाइयां पूर्ण की गई और सीवरेज सिस्टम की डी.पी.आर. बनाई गई। बिदंल ने बताया कि डी.पी.आर. में शहर को तीन हिस्सों में बांटा गया। जोन 1 - कोटड़ी (जुड्डा का जोहड़) जोन 2-दकूला (मझौली)जोन 3 - नजदीक आई.टी.आई शामिल है। उन्होने बताया कि प्राथमिक डी.पी.आर. 70 करोड़ रुपये की बनाई गई थी फिर रिवाइज्ड़ डी.पी.आर. 100 करोड़ रुपये की बनाई गई। उसके बाद इसमें जरजा के क्षेत्र को भी शामिल करते हुए व पानी की और आवश्यक्ता को बढ़ाते हुए यह अंतिम रिवाइज्ड़ डी.पी.आर. लगभग 144 करोड़ रुपये की बनाई गई।
फ्रांस की एजेंसी ए.एफ.डी. के साथ मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश सरकार के स्तर तक अनेक बार बैठकें करवाई गईं और प्रदेश के अन्य नगरों को मिलाकर एक बड़े प्रोजेक्ट की रिपोर्ट बनाकर धनराशि की स्वीकृति के लिए फ्रांस की एजेंसी को प्रेषित की गई।
फ्रांस की एजेंसी से अनेक बार नाहन में भी बैठकें की और उन्हें नाहन में ट्रीटमेंट प्लांट की साइट्स दिखाई गईं। बिंदल ने बताया कि इसके लिए वन विभाग की स्वीकृतियां भी प्राप्त की गई। प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार के समय में इस सीवरेज प्रणाली की इन-प्रींसिपल अप्रूवल दे दी गई थी।
सत्ता परिवर्तन के बाद मुकेश अग्निहोत्री के मंत्री बनने पर यह एम.ओ.यू मार्च 2023 में दस्तखत हुआ। एम.ओ.यू. साइन होने से पहले लगभग चार वर्षों तक सभी प्रक्रियाएं हमारे प्रयासों से पूर्ण की गई। आज हमें खुशी है कि हमारे प्रयास रंग लाए हैं और इसके लिए हम इलाका वासियों को बधाई।
इस प्रकार के अनेक प्रौजेक्ट्स हैं जिन पर हमने वर्षों से प्रयास किया और सैंकड़ों करोड़ रुपये के प्रकल्प विभिन्न विकासात्मक कार्यों के बनाकर अलग-अलग एजेंसियों को भेजे हुए हैं और हमें पूर्ण विश्वास है कि वे सभी भी आने वाले समय में अवश्य स्वीकृत होंगे।
उदाहरण के तौर पर मारकण्डे नदी के चैनेलाइजेशन के 105 करोड़ रुपये भी धन की स्वीकृति के लिए भेजे हुए हैं, इस प्रकार से ऐसे अनेक प्रकल्प हैं जो अलग-अलग स्टेजिस पर पहुंचाए गए हैं।