देवबंद से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी महामाया बाला सुंदरी ......
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन, 17 अक्तूबर
महामाया बाला सुंदरी जी का भव्य मंदिर सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 22 किलोमीटर दूर त्रिलोकपुर नामक स्थल पर विराजमान है। त्रिलोकपुर का नाम तीन शक्ति मंदिरों से निकला है जिनमें मां ललिता देवी, बाला संुदरी और त्रिपुर भैरवी शामिल हैं। त्रिलोकपुर मंदिर वास्तुकला की इंडो-फारसी शैली का एक आकर्षक नमूना है। मां बालासुंदरी सिरमौर जिला के अलावा साथ लगते हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की भी अधिष्ठात्री देवी है।
लोक गाथा के अनुसार महामाई बालासुंदरी जी उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के देवबंद स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी। लाला रामदास सदियों पूर्व त्रिलोकपुर स्थान में नमक का व्यापार करते थे और उन्हीं की नमक की बोरी में महामाई को 1573 ई. में त्रिलोकपुर लाया गया था। उनकी दुकान पीपल के वृक्ष तले स्थित थी।
कहा जाता है कि लाला रामदास ने देवबंद से जो नमक लाया था, उसे अपनी दुकान में बेचने के लिये उडेल दिया जो कभी समाप्त नहीं हुआ। उन पर मां बालासुंदरी की असीम कृपा थी। वह नित्य प्रति उस पीपल को जल अर्पित करके पूजा करते थे। उन्होंने नमक बेचकर अच्छा खासा धन अर्जित कर लिया था, लेकिन उन्हें कहीं न कहीं यह भी चिंता सता रही थी कि नमक खत्म क्यों नहीं हो रहा हैं।
महामाया एक रात लाला रामदास के सपने में आई और उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी भक्ति से अत्यंत खुश हॅूं। मैं इस पीपल के नीचे पिंडी रूप में स्थापित हो गई हॅूं। तुम इस स्थल पर मेरा भवन बनवाओ। लाला जी को भवन निर्माण की चिंता सताने लगी। उन्होंने इतने बड़े भवन के निर्माण के लिये धनाभाव तथा सुविधाओं की कमी का महसूस करते हुए माता की अराधना की। लाला ने मॉं से इच्छा जाहिर की कि मंदिर कि निर्माण के लिये सिरमौर के महाराजा को आदेश दें। मां ने अपने भक्त की पुकार सुनते हुए राजा प्रदीप प्रकाश को स्वप्न में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया।
राजा प्रदीप प्रकाश ने जयपुर से कारीगरों को बुलाकर तुरंत से मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ करवा दिया। भवन निर्माण 1630 में पूरा हो गया। त्रिलोकपुर मंदिर क्षेत्र का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है जहां साल भर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। मंदिर में विशेषकर नवरात्रों में मेले के दौरान हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा उत्तराखंड से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। मंदिर में पूजा-अर्चना करके देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं जिससे श्रद्धालुओं को एक अलग सी अनुभूति प्राप्त होती है। त्रिलोकपुर में वर्ष में दो बार मेला लगता है जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। चैत्र तथा आश्विन नवरात्रों में ये मेले लगते हैं।
महामाया बालासुंदरी सिद्धपीठ के सौंदर्यीकरण तथा व्यवस्था बनाने के लिये सुमित खिमटा उपायुक्त एवं मेला आयुक्त की अध्यक्षता में मंदिर न्यास समिति का गठन किया गया है। मंदिर परिसर में यात्रियों के ठहरने तथा उन्हें अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मंदिर परिसर में जनहित के अनेक विकास कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है। न्यास को मॉ के लाइव दर्शन के लिये बडे आकार की एल.ई.डी. स्क्रीनें, सीसीटीवी तथा ध्वनि प्रसारण उपकरणों के लिये 1.34 लाख की राशि मंजूर की गई है। मेले के दौरान 150 गृह रक्षकों की तैनाती की जाएगी और इसके लिये न्यास 23 लाख की राशि वहन करेगा। मेले के दौरान कानून व व्यवस्था, सफाई व्यवस्था तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिये कुल 600 कर्मियों की नियुक्ति की जा रही है। इनके रहने व खाने-पीने की भी समुचित व्यवस्था न्यास की ओर से की जाएगी।
इस बार आश्विन नवरात्र मेला 15 अक्तूबर से 28 अक्तूबर, 2023 तक धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मेले के सफल व सुचारू आयोजन को लेकर जिला दण्डाधिकारी सुमित खिमटा ने धारा-144 के तहत एक आदेश जारी किए है जिसके अनुसार मेले के दौरान काला आम्ब पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर तथा मेला क्षेत्र त्रिलोकपुर में कोई भी व्यक्ति आग्नेयास्त्र, घातक हथियार तथा विस्फोटक सामग्री को साथ लेकर नहीं चल सकता। इसके अलावा कोई भी श्रद्धालु मंदिर में नारियल नहीं चढ़ा सकता। कोई भी व्यक्ति त्रिलोकपुर मेला परिक्षेत्र में मेले के दौरान किसी प्रकार की गैर कानूनी गतिविधि में संलिप्त नहीं हो सकता और मदिरा का सेवन भी वर्जित रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार मेले के दौरान मेला क्षेत्र त्रिलोकपुर में की मांस व मछली विक्रय की दुकानें नहीं लगेगी। मांस व मछली की बिक्री पर त्रिलोकपुर क्षेत्र में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मेले में श्रद्धालु धार्मिक भावना एवं आस्था के साथ आते हैं। इसलिये यह आवश्यक है कि मेले के दौरान मांस व मछली की बिक्री प्रतिबंधित रहे ताकि श्रद्धालुओं में किसी प्रकार का जन आक्रोश उत्पन्न न हो।
जिला दण्डाधिकारी के आदेश के तहत कागज/गत्ता के कारखानों के ट्रक/टैªक्टर जिन पर मूल ढांचे के अलावा बडे़-बड़े बोरे की सहायता से तूड़ी आदि लाई जाती है, ऐसे वाहनों की आवाजाही पर कालाअम्ब से त्रिलोकपुर सड़क पर मेला अवधि के दौरान प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक प्रतिबंध रहेगा।
महामाया बाला सुंदरी जी का भव्य मंदिर सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन से 22 किलोमीटर दूर त्रिलोकपुर नामक स्थल पर विराजमान है। त्रिलोकपुर का नाम तीन शक्ति मंदिरों से निकला है जिनमें मां ललिता देवी, बाला संुदरी और त्रिपुर भैरवी शामिल हैं। त्रिलोकपुर मंदिर वास्तुकला की इंडो-फारसी शैली का एक आकर्षक नमूना है। मां बालासुंदरी सिरमौर जिला के अलावा साथ लगते हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की भी अधिष्ठात्री देवी है।
लोक गाथा के अनुसार महामाई बालासुंदरी जी उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के देवबंद स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी। लाला रामदास सदियों पूर्व त्रिलोकपुर स्थान में नमक का व्यापार करते थे और उन्हीं की नमक की बोरी में महामाई को 1573 ई. में त्रिलोकपुर लाया गया था। उनकी दुकान पीपल के वृक्ष तले स्थित थी।
कहा जाता है कि लाला रामदास ने देवबंद से जो नमक लाया था, उसे अपनी दुकान में बेचने के लिये उडेल दिया जो कभी समाप्त नहीं हुआ। उन पर मां बालासुंदरी की असीम कृपा थी। वह नित्य प्रति उस पीपल को जल अर्पित करके पूजा करते थे। उन्होंने नमक बेचकर अच्छा खासा धन अर्जित कर लिया था, लेकिन उन्हें कहीं न कहीं यह भी चिंता सता रही थी कि नमक खत्म क्यों नहीं हो रहा हैं।
महामाया एक रात लाला रामदास के सपने में आई और उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारी भक्ति से अत्यंत खुश हॅूं। मैं इस पीपल के नीचे पिंडी रूप में स्थापित हो गई हॅूं। तुम इस स्थल पर मेरा भवन बनवाओ। लाला जी को भवन निर्माण की चिंता सताने लगी। उन्होंने इतने बड़े भवन के निर्माण के लिये धनाभाव तथा सुविधाओं की कमी का महसूस करते हुए माता की अराधना की। लाला ने मॉं से इच्छा जाहिर की कि मंदिर कि निर्माण के लिये सिरमौर के महाराजा को आदेश दें। मां ने अपने भक्त की पुकार सुनते हुए राजा प्रदीप प्रकाश को स्वप्न में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया।
राजा प्रदीप प्रकाश ने जयपुर से कारीगरों को बुलाकर तुरंत से मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ करवा दिया। भवन निर्माण 1630 में पूरा हो गया। त्रिलोकपुर मंदिर क्षेत्र का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है जहां साल भर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। मंदिर में विशेषकर नवरात्रों में मेले के दौरान हिमाचल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा उत्तराखंड से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। मंदिर में पूजा-अर्चना करके देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं जिससे श्रद्धालुओं को एक अलग सी अनुभूति प्राप्त होती है। त्रिलोकपुर में वर्ष में दो बार मेला लगता है जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। चैत्र तथा आश्विन नवरात्रों में ये मेले लगते हैं।
महामाया बालासुंदरी सिद्धपीठ के सौंदर्यीकरण तथा व्यवस्था बनाने के लिये सुमित खिमटा उपायुक्त एवं मेला आयुक्त की अध्यक्षता में मंदिर न्यास समिति का गठन किया गया है। मंदिर परिसर में यात्रियों के ठहरने तथा उन्हें अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मंदिर परिसर में जनहित के अनेक विकास कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है। न्यास को मॉ के लाइव दर्शन के लिये बडे आकार की एल.ई.डी. स्क्रीनें, सीसीटीवी तथा ध्वनि प्रसारण उपकरणों के लिये 1.34 लाख की राशि मंजूर की गई है। मेले के दौरान 150 गृह रक्षकों की तैनाती की जाएगी और इसके लिये न्यास 23 लाख की राशि वहन करेगा। मेले के दौरान कानून व व्यवस्था, सफाई व्यवस्था तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिये कुल 600 कर्मियों की नियुक्ति की जा रही है। इनके रहने व खाने-पीने की भी समुचित व्यवस्था न्यास की ओर से की जाएगी।
इस बार आश्विन नवरात्र मेला 15 अक्तूबर से 28 अक्तूबर, 2023 तक धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मेले के सफल व सुचारू आयोजन को लेकर जिला दण्डाधिकारी सुमित खिमटा ने धारा-144 के तहत एक आदेश जारी किए है जिसके अनुसार मेले के दौरान काला आम्ब पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर तथा मेला क्षेत्र त्रिलोकपुर में कोई भी व्यक्ति आग्नेयास्त्र, घातक हथियार तथा विस्फोटक सामग्री को साथ लेकर नहीं चल सकता। इसके अलावा कोई भी श्रद्धालु मंदिर में नारियल नहीं चढ़ा सकता। कोई भी व्यक्ति त्रिलोकपुर मेला परिक्षेत्र में मेले के दौरान किसी प्रकार की गैर कानूनी गतिविधि में संलिप्त नहीं हो सकता और मदिरा का सेवन भी वर्जित रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार मेले के दौरान मेला क्षेत्र त्रिलोकपुर में की मांस व मछली विक्रय की दुकानें नहीं लगेगी। मांस व मछली की बिक्री पर त्रिलोकपुर क्षेत्र में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मेले में श्रद्धालु धार्मिक भावना एवं आस्था के साथ आते हैं। इसलिये यह आवश्यक है कि मेले के दौरान मांस व मछली की बिक्री प्रतिबंधित रहे ताकि श्रद्धालुओं में किसी प्रकार का जन आक्रोश उत्पन्न न हो।
जिला दण्डाधिकारी के आदेश के तहत कागज/गत्ता के कारखानों के ट्रक/टैªक्टर जिन पर मूल ढांचे के अलावा बडे़-बड़े बोरे की सहायता से तूड़ी आदि लाई जाती है, ऐसे वाहनों की आवाजाही पर कालाअम्ब से त्रिलोकपुर सड़क पर मेला अवधि के दौरान प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक प्रतिबंध रहेगा।
प्रेम ठाकुर
जिला लोक सम्पर्क अधिकारी
जिला सिरमौर स्थित नाहन (हि.प्र.)