प्रदेश में नशा, अवैध खनन, अपराध चरम पर, सरकार समोसे खोजने में व्यस्त : जयराम ठाकुर
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इस मामले में सीआईडी द्वारा करवाई गई एफआईआर भी सुक्खू सरकार के कारनामों की तरह हास्यास्पद और कॉन्सपिरेसी से भरी हुई है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(2) मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश है।
यह एफआईआर मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है। इसके बलबूते सरकार मीडिया को डरा धमकाकर यह संदेश देना चाहती है कि जो हमारी नाकामियों के खिलाफ लिखेगा, हम उसे छोड़ेंगे नहीं। अब तक सरकार के खिलाफ लिखने पर मीडिया कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों पर सरकार द्वारा दो दर्जन से ज्यादा एफआईआर करवाई जा चुकी है। अब सरकार सामूहिक रूप से मीडिया कर्मियों और प्रदेश के आम लोगों को निशाना बनाने के लिए समोसा कांड का जिन्न बाहर लेकर आई है। मीडिया कर्मियों और आम आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उनका संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार है जिसे व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार छीनना चाहती है। सरकार की इस तानाशाही पर कांग्रेस पार्टी और संविधान बचाने का स्वांग रचने वाले राहुल गांधी को भी जवाब देना चाहिए कि उनकी पार्टी की सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन कैसे कर सकती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि एफआईआर में कहा गया है कि बार-बार संवेदनशील मामले मीडिया में लीक होते हैं तो मुख्यमंत्री यह स्पष्ट करें कि पहले ऐसे कितने मामले हैं जो मीडिया में लीक हो चुके हैं और उनकी वजह से प्रदेश की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा पर क्या–क्या खतरा है? मुख्यमंत्री यह भी बताएं कि आखिर उनके समोसे कौन खा गया इसकी जांच में कैसी गोपनीयता है और यह जनहित से कैसे जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने तानाशाही रवैया को छोड़ना चाहिए और आम जनता की समस्याओं पर बात करनी चाहिए। मीडिया को कुचलने के दुष्चक्र रचने के बजाय प्रदेश में फन फैला रहे नशा, खनन माफियाओं को कुचलने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। मुख्यमंत्री प्रदेश में अघोषित इमरजेंसी लगाने की कोशिश से बाज आएं क्योंकि उन्हें पता होना चाहिए कि उनकी ऐसी साजिशें कामयाब नहीं होंगी।