उद्योगपतियों और आम लोगों ने बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का किया विरोध
अक्स न्यूज लाइन -- शिमला, 9 मार्च 2023
सूबे के उद्योगपतियों और आम लोगों ने बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। यह विरोध मंगलवार को विद्युत विनियामक आयोग के कार्यालय कसुम्पटी में हुई जनसुनवाई के दौरान जताया गया। दरअसल, बिजली बोर्ड ने घाटे का हवाला देते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 90 पैसे प्रति यूनिट बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव आयोग को भेजा है।
इसके अलावा उद्योगों सहित हर श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। आपत्तियां और सुझाव लेने के बाद इसी मामले में मंगलवार को आयोग के अध्यक्ष डीके शर्मा ने सुबह 11:00 से लेकर दोपहर 3:00 बजे तक जन सुनवाई की।
इसमें उद्योगपतियों समेत 50 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। उपभोक्ताओं की बात सुनने के बाद अब आयोग दरें तय करेगा। 31 मार्च से पहले बिजली दरों की घोषणा होनी है। एक अप्रैल 2023 से नई दरें लागू होंगी। वहीं, जनसुनवाई के दौरान मिले संकेतों ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल घरेलू उपभोक्ताओं को इस वर्ष प्रतिमाह 300 यूनिट निशुल्क बिजली मिलने के आसार भी नहीं हैं।
आयोग और सरकार के बीच अभी तक कोई संवाद नहीं हुआ है। आगामी 20 दिनों में आयोग ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए नई दरों का एलान करना है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की गारंटी दी थी, लेकिन इसके लिए अभी तक रूपरेखा तक नहीं बनी है।
सरकार को इस संदर्भ में बिजली बोर्ड का भेजा प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में है। पूर्व भाजपा सरकार के समय से जारी 125 निशुल्क बिजली की योजना पर भी संकट छा गया है। सरकार ने बोर्ड को जनवरी से मार्च 2023 तक इस एवज में धनराशि जारी नहीं की है।
जनसुनवाई में बद्दी, नालागढ़, कालाअंब, ऊना के कई उद्योगपतियों ने बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए पुराने रेट और घटाने की मांग उठाई। अगर उपदान देने में सरकार ने कमी रखी तो अप्रैल से बिजली महंंगी हो सकती है। बोर्ड ने 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली महंगी करने का प्रस्ताव आयोग को भेजा है।
वर्ष 2022-23 के बजट में पूर्व भाजपा सरकार ने बोर्ड को सस्ती बिजली देने के लिए 500 करोड़ रुपये का उपदान दिया था। घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 60 यूनिट निशुल्क देने की इस दौरान घोषणा की थी। कुछ माह बाद भाजपा सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली निशुल्क की थी। इसके एवज में 66 करोड़ प्रतिमाह उपदान अलग से दिया गया। ऐसे में अगर 125 यूनिट निशुल्क बिजली देना जारी रखना है तो करीब 800 करोड़ के उपदान की जरूरत है।
हिमाचल प्रदेश में इस साल 2,000 किलोमीटर सड़कों की टारिंग होगी। प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को टारिंग के लिए टेंडर करने के आदेश दिए हैं। 15 मार्च से सड़कों की टारिंग करने को कहा गया है। जुलाई तक क्षतिग्रस्त सड़कों को दुरुस्त किया जाना है। सड़कों के किनारे बारिश के पानी की निकासी नालियों और डंगों को भी दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
जूनियर इंजीनियर से लेकर अधिशासी अभियंताओं को टारिंग के समय मौके पर मौजूद रहने को कहा गया है। टारिंग में गड़बड़ी पाई जाने पर ठेकेदार और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कुल्लू, शिमला, चंबा, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों में कई सड़कें गड्ढों में तबदील हो गई हैं। हिमाचल में जुलाई में सेब सीजन शुरू हो जाता है।
ऐसे में लोक निर्माण विभाग को निर्धारित समय में सड़कें ठीक करने को कहा गया है। किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर अन्य जिलों के शहरों का अधिकतम तापमान 25 डिग्री से ज्यादा है। यह तापमान टारिंग के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ अजय गुप्ता ने कहा कि इस साल दो हजार किलोमीटर सड़कों की टारिंग की जानी है।