मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जल्द से जल्द शुरू की जाए डायलिसिस सुविधा : हर्षित मिन्हास

मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में जल्द से जल्द शुरू की जाए डायलिसिस सुविधा : हर्षित मिन्हास

अक्स न्यूज लाइन मंडी 26 मई :

वर्तमान समय में बदलते रहन-सहन व खान-पान के कारण इंसान नई-नई बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा है। बीते कुछ वर्षों से अधिकतम लोग किडनी से संबंधित बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। किडनी मानव शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में बह रहे रक्त में से जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में किडनी खराब होने पर शरीर में गंदे रक्त की मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसे में आयुर्विज्ञान द्वारा रक्त को साफ़ करने के लिए डायलिसिस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। एक अधिकृत वृत के अनुसार भारत में प्रतिदिन 1 लाख से भी अधिक लोग डायलिसिस करवाते हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में वर्तमान समय में हर चिकित्सा केंद्र पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध होना अनिवार्य हो गया है। हिमाचल प्रदेश के कुछ ही शहरों में यह सुविधा उपलब्ध है। बात करें हमीरपुर जिला की तो मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में डायलिसिस की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त कुछ ही स्थानों पर यह सुविधा मौजूद है। एक डायलिसिस मशीन दिन में 3 मरीजों का ही उपचार करने में सक्षम है ऐसे में मरीजों को बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुए मशीनों की संख्या में भारी बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है। बात करें नादौन शहर की तो दूर दूर तक नादौन शहर इस सुविधा से अपरिचित है। 


हर्षित मिन्हास (स्थानीय निवासी भरमौटी पंचायत, नादौन व पूर्व अध्यक्ष सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी) ने मीडिया में जानकारी देते हुए बताया कि नादौन शहर में किडनी के मरीजों को डायलिसिस हेतु हमीरपुर के चक्कर काटने पड़ते हैं व इसके बावजूद भी सरकारी अस्पताल में उन्हें वेटिंग लिस्ट में रखा गया है और मजबूरन कुछ गिने चुने निजी केंद्रों पर डायलिसिस करवानी पड़ रही है। हर्षित मिन्हास ने कहा कि नादौन के लोगों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी से उम्मीद है कि वे सिविल अस्पताल नादौन में डायलिसिस केंद्र खोलने का प्रयास करेगें ताकि नादौन के लोगों को भटकना ना पड़े।


डायलिसिस क्या है?
डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें किडनी की खराबी के कारण रक्त में जमा विषाक्त पदार्थों, अतिरिक्त पानी और अनावश्यक लवणों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। यह उन मरीजों के लिए आवश्यक होती है जिनकी किडनी 85-90% तक खराब हो चुकी होती है और जो शरीर से गंदगी और द्रव को प्राकृतिक रूप से बाहर निकालने में असमर्थ होती हैं। डायलिसिस तब आवश्यक होती है जब किडनी अपने कार्य करने की क्षमता खो देती है और शरीर में विषैले पदार्थ, अतिरिक्त द्रव, और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:


 1. बार-बार पेशाब आने या बहुत कम पेशाब होना2. पेशाब में झाग या खून आना3. हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना4. अचानक वजन बढ़ना या घट जाना5. भूख न लगना और मितली आना
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डायलिसिस एक जीवनरक्षक उपचार है, लेकिन यह किडनी फैलियर का स्थायी समाधान नहीं है। किडनी ट्रांसप्लांट एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जिससे मरीज को अधिक स्वतंत्र और बेहतर जीवन जीने में मदद मिल सकती है।


जारीकर्ता
हर्षित मिन्हास (स्थानीय निवासी भरमौटी पंचायत, नादौन व पूर्व अध्यक्ष सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी)
संपर्क : 82788-78404