प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर प्रस्ताव प्रदेश कार्यसमिति में पारित : नंदा
शिमला, 6 फरवरी (अक्स न्यूज लाइन):-
भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने बताया कि प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर प्रस्ताव प्रदेश कार्यसमिति में पारित हुआ, जिसे भाजपा मुख्य प्रवक्ता और श्री नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रणधीर शर्मा ने प्रस्तुत किया और पूर्व मंत्री सुख राम चौधरी और पार्टी के प्रदेश सचिव बिहारी लाल शर्मा ने अनुमोदन किया।
नंदा ने बताया कि प्रस्ताव में हिमाचल प्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति वर्ष 2022 के अंत में सम्पन्न विधान सभा चुनावो में जनहित व प्रदेश हित में सराहनीय कार्य करने वाली जयराम सरकार का दोबारा न बन पाने को दुर्भाग्यपूर्ण मानती हैं। हालांकि 18,14,530 ( 43 प्रतिशत) मत प्राप्त कर मात्र 0.9 प्रतिशत के अंतर से फिर से सरकार बनाने से हम चूक गए जिसका हमें अत्यंत दुःख है। भारतीय जनता पार्टी की यह प्रदेश कार्यसमिति प्रदेशभर के भाजपा कार्यकर्ताओं जिन्होनें दिन-रात मेहनत की और मतदाताओं का धन्यवाद करती है और हिमाचल प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश का सम्मान करते हुए रचनात्मक एवं प्रभावी विपक्ष की भूमिका अदा करने का संकल्प लेती है।
लोक लुभावने वायदे कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार अब उन वायदों को पूरा करने में आना-कानी कर रही है। सरकार बनने के बाद 10 दिन में पहली कैबिनेट कर ओ०पी०एस० देने का नारा लगाने वाले कांग्रेसी नेता एक महीने तक अपनी कैबिनेट ही नहीं बना पाए। उसके बाद कैबिनेट में निर्णय लेने के बावजूद अभी तक इस मामले में स्पष्टता नहीं आई। प्रदेश की हर महिला को हर महीने 1500 रू० देने और एक साल में एक लाख रोजगार देने के वायदों के लिए कमेटियां बनाकर मामलों को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया गया। गोबर किस विभाग के माध्यम से और किस मंत्रालय की देखरेख में खरीदा जाएगा, इस पर तो अभी तक विचार ही नहीं हुआ। शेष वायदों को तो लगता है कांग्रेस सरकार धीरे-धीरे भूल ही रही है। कांग्रेस सरकार के इस नकारात्मक रवैये से प्रदेश की जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी मंत्रीमण्डल के गठन और विभागों के आबंटन में भी उजागर हुई है। इसके कारण मंत्रीमण्डल में क्षेत्रीय व जातीय असंतुलन स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। कांगड़ा व मण्डी जैसे प्रदेश के बड़े जिलों की मंत्रीमण्डल में अनदेखी चिंता का विषय है। भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि आर्थिक कंगाली का रोना रोने वाले कांग्रेस नेताओं ने हिमाचल जैसे छोटे राज्य में उप-मुख्यमंत्री और 6 मुख्य संसदीय सचिव बनाकर जहां प्रदेश में फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया है वहीं सीमित मंत्रीमण्डल के संबंध में 91वें संविधान संशोधन की मूलभावना की धज्जियां उड़ाई हैं। कर्ज लेने के मामले में पिछली भाजपा सरकार को पानी पी पी कर कोसने वाले कांग्रेसी नेताओं ने सरकार बनाने के बाद 50 दिनो में ही 1500 करोड़ रू० का कर्जा 6 प्रतिशत ब्याज पर ले लिया और 1500 करोड़ रू० और कर्जा लेने की तैयारी चल रही है जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार के कर्णधारों के बयान ही नहीं उनके काम भी विरोधाभासी हैं।
सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन का नारा देने वाले नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री श्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने जब से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, प्रदेश में अव्यवस्था का वातावरण बना हुआ है। शपथ लेने के तुरंत बाद जिस तरह से 12 दिसम्बर, 2022 को पिछली सरकार के समय 1 अप्रैल, 2022 के बाद के खोले और स्तरोन्नत किए गए संस्थानो को बंद करने का तुगलकी फरमान जारी हुआ उसके खिलाफ पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन आयोजित हुए और भाजपा विधायक दल ने महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौंप इस अधिसूचना को वापिस लेने की मांग की थी। हिमाचल प्रदेश के इतिहास की शायद यह पहली सरकार है जिसके खिलाफ पहले ही सप्ताह में विरोध प्रदर्शन हुए। शपथ लेने के पहले ही भाजपा विधायकों को विधान सभा के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष श्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करनी पड़ी। अभी तक प्रदेश की कांग्रेस सरकार अनेक विभागों के 613 संस्थान बंद कर चुकी है और अब शिक्षण संस्थानों को बंद या निष्क्रीय करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। हिमाचल भाजपा का मानना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत सरकार बदलने पर विकास कार्य निरंतर आगे बढ़ते हैं। नई सरकार पिछली सरकार के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए नए काम करती है इसलिए इस सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय तानाशाहीपूर्ण तो है ही, प्रदेश के विकास के साथ खिलवाड़ और जनता जनार्दन के साथ धोखा है।
यही नहीं सरकार बनने के तुरंत बाद बरमाणा स्थित एसीसी व दाड़लाघाट स्थित अंबूजा सीमेंट फैक्ट्रीयों पर तालाबंदी हो गई जिसके फलस्वरूप बिलासपुर व सोलन जिलों के हजारों लोग प्रत्यक्ष रूप से एवं लाखों लोग अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। ट्रक ऑपरेटर सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं परन्तु वर्तमान सरकार के पास उनकी समस्या सुनने और समझने का समय ही नहीं है। भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश की यह कार्यसमिति इस संवेदनशील मुद्दे पर वर्तमान कांग्रेस सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी आलोचना करती है और स्पष्ट करती है कि भाजपा इन फैक्ट्रीयों की तालाबंदी से प्रभावित हुई जनता के साथ मजबूती के साथ खड़ी है।
महंगाई का राग अलापने वाले कांग्रेसी नेताओं ने जिस तरह से सत्ता में आने के बाद 3 रू0 लीटर डीजल व 9 रू० लीटर सरसों का तेल महंगा किया उसकी हिमाचल भाजपा कड़े शब्दों में निंदा करती है। 31 मार्च, 2023 तक सभी विकास कार्यों को रोकना और विधायक निधि तक जारी न करना इस सरकार के विकास विरोधी रवैये को दर्शाता है।
हिमाचल भाजपा केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2023-24 के जनहितैषी बजट के लिए जहां प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री जी को बधाई देती है वहीं इस बजट से हिमाचल प्रदेश की जनता को मिलने वाले अनेक फायदों व प्रदेश के विकास के लिए अनेक परियोजनाओं विशेषरूप से 3 रेलवे परियोजनाओं भानूपल्ली, बरमाणा, चंडीगढ़- बद्दी और नंगल-तलवाड़ा के लिए 1902 करोड़ रू० के बजट का प्रावधान करने के लिए धन्यवाद करती है।
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति अपनी इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेती है कि नवगठित कांग्रेस सरकार के इन जनविरोधी फैसलों के खिलाफ प्रदेश में जनमत तैयार कर जन आंदोलन खड़ा करेगी। संस्थान बंद होने से प्रभावित लोगों को साथ लेते हुए जहां हस्ताक्षर अभियान चलाकर आंदोलन आगे बढ़ाया जाएगा वहीं कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी। भाजपा जहां प्रदेश की जनविरोधी व विकास विरोधी सुक्खू सरकार के खिलाफ सड़क से सदन तक संघर्ष करेगी वहीं केन्द्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच भी जाएगी। नई ऊर्जा, नई उमंग व नए जोश के साथ भाजपा कार्यकर्ता वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में अपनी भूमिका अदा करेंगे और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावो में एक बार फिर मोदी सरकार बनाने के लिए प्रदेश की चारों सीटों पर वि