वर्ष 2019-20 में स्वच्छता रेंक झटकने वाली नाहन नगर परिषद की गारबेज कलेक्शन स्कीम क्यों पटरी से उतरी,1 करोड़ का इनाम भी मिला था बहेतर प्रबंधन के लिये।

वर्ष 2019-20 में स्वच्छता रेंक झटकने वाली नाहन नगर परिषद की गारबेज कलेक्शन स्कीम क्यों पटरी से उतरी,1 करोड़ का इनाम भी मिला था बहेतर प्रबंधन के लिये।

 अक्स न्यूज लाइन  नाहन, 01 सितम्बर :  अरूण साथी 

कभी उत्तर भारत के स्वस्थ वर्धक शहरों में शुमार,सिरमौरी हुक्मरानों की राजधानी रहा और कभी नगीना कहे जाने वाला नाहन शहर आज गन्दगी ओर प्रदूषण की चपेट में है। कुछ महीनों से शहर ड़ेंगू के शिकंजे में सैकड़ों  प्रभावित हो चुके है। अगली कोई महामारी कब दस्तक दे दे यह किसी को मालूम नही।
 

बीते तीन महीनों में गारबेज एक्ट के तहत शहर में एक भी चालान नही कटा गया है। इतना जरूर हुआ कि परिषद ने बीते साल तीन चार संस्थानों के जिनमें कुछ बैंक भी थे के चालान खले में कचरा फैं कने के मामले किए थे। आरोप है कि सियासी दबाव के चलते चालान नही होते नेता अपने वोट खिसक ने नही देते ऐसे चालान नही होने देते। ऐसे में खुले में कचरा फैंकने वालों के हौंसले बुलंद है।  

आरोप है लोग कचरे वाली गाड़ी का इंतजार नही करते वो तो अपने समय से आएगी। बहुत से नौकरी पेशा लोग तो सुबह ही डाल देते है। ऐसे बहुत से लोग है जो यहां जॉब करने या पढने आए है ऐसे लोग किराए के घरों में रहते है। यह लोग भी योजना को पलीता लगा रहे है। इनकी जानकारी देने बावजूद नप ने कोई एक्शन नही लिया। 

ऐसे में सवाल यह भी है कि  लोगों की अपनी भी कोई जिम्मेदारी बनती है या नही गाड़ी आने का समय पूछ लें अपने कचरे को उठा कर ले जाएँ।  आज आलम यह है कि शहर के लोगों को गाड़ी का म्यूजिक पसन्द नही, घर की डोर बेल नही बजाने देते, सफई कर्मचारी अगर कचरे के लिए सिटी बजाए तो भी लोग भडक जाते है। ऐसे सिस्टम क्या करेगा।

सच तो यह है कि लोग यह कहते है कि अगर 50 रुपये महीने देंगे तो हमारे धर आओ हमारा डस्टबिन लेकर जाओ. फिर वापस छोड़ कर जाओए ओर हां हम अपना कचरा खुला ही देंगे क्योंकि हम पॉलीथिन बैग नही खरीद सकते । इस लिए कचरा फेंक रहे है सडक पर। लेकिन एक बात साफ है कि यूजर चार्जिस तो लोगों को चुकाने ही होगें सालों बाद भी। 

नगर परिषद की हालत भी सफाई व्यवस्था को लेकर सही नही है। सालों से शहर के उन हिस्सों में सीसीटीवी कैमरे नही लगे जहां सालों से लोग खुले में कचरा फैकने में लगे है। नप प्रशासन कचरा फैकने वालों के खिलाफ सीधी करवाई करने से बचता हैं। क्योंकि नगर परिषद के सियासी आका चलान न करने को लेकर दबाव बनाते है। सहयोग करने को तैयार नही है। ऐसे सफई व्यवस्था की हालत दिनों दिन बदत्तर होती जा रही है। 

ऐसा नही है कि परिषद हाथ पर हाथ धरे बैठी है। साल 2019.20 में परिषद की स्वच्छता मुहिम को गति मिली, देश जारी स्वच्छता के इंडेक्स में नाहन शहर की रैंकिंग 27 वें नम्बर पर दर्ज हुई। यही नहीं इसी दौरान प्रदेश सरकार ने स्वच्छता औऱ अन्य विकास योजनाओं बहेतर ठंग से लागू करने पर नगर परिषद को 1 करोड़ के इनाम से भी नवाजा था।

अब आलम यह है कि नप का सीधा एक्सन न होने से परिषद का इंपैक्ट खत्म हुआ है।