राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यूको बैंक नाहन की अपील की खारिज. उपभोक्ता आकाश विश्नोई के हक में फैसला सुनाया

राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यूको बैंक नाहन की अपील की खारिज. उपभोक्ता आकाश विश्नोई के हक में फैसला सुनाया

अक़्स न्यूज लाइन, नाहन--30 दिसंबर

हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला ने यूको बैंक नाहन की अपील को खारिज करते हुए उपभोक्ता आकाश विश्नोई के हक में फैसला सुनाया है। उपभोक्ता द्वारा वर्ष 2006 में यूको बैंक नाहन से आवास ॠण फ्लोटिंग रेट 8.75% पर लिया था।

इसके उपरांत ॠण की ब्याज दरों में वृद्धि होने पर ॠण का भुगतान बढ़ी हुई दरों के अनुसार किया जाता रहा परन्तु जब ब्याज दरों में कमी आई तो बैंक ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की उसे 11.25% के अनुसार ही उपभोक्ता से वसूला जाता रहा वर्ष 2015 में उपभोक्ता का ध्यान इस ओर गया कि बैंक द्वारा अधिक ब्याज दरों के साथ ॠण की राशि को वसूला जा रहा है तो बैंक मैनेजर से इसके बारे में शिकायत दर्ज की गई परन्तु बैंक के अधिकारियों द्वारा ब्याज की दरों को कम करने से मना कर दिया और कहा गया कि बैंक के नियम बदल गए हैं और आपको कुल बकाया ॠण की राशि का 1% जमा करना होगा उसके उपरांत ही ब्याज दरों को कम किया जाएगा।

यूको बैंक के उच्चाधिकारियों से भी इस संदर्भ में लिखित शिकायत की गई परन्तु उनके द्वारा भी यही जवाब दिया गया। इसके उपरांत उपभोक्ता आकाश विश्नोई द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम सिरमौर नाहन में शिकायत 42/2016 दर्ज करवाई। सभी तथ्यों को देखने सुनने के बाद इसका निर्णय दिनांक 20-11-2019 को आकाश विश्नोई के पक्ष में दिया गया था परन्तु यूको बैंक के शिमला मुख्यालय तथा नाहन शाखा द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम सिरमौर नाहन के निर्णय के विरुद्ध हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला में दिनांक 06-01-2020 को अपील दाखिल की गई।

परन्तु वहां पर भी यूको बैंक उपभोक्ता के आवास ॠण वर्ष 2006 की स्वीकृति के उपरांत बढ़ी हुई ब्याज दरों के बदलाव से सम्बंधित कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया ।  इस लिए हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला ने यूको बैंक नाहन की अपील को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि बैंक को कोई अधिकार नहीं है कि वह शिकायतकर्ता आकाश विश्नोई से दंडात्मक/अतिदेय ब्याज दरों की वसूली करें और निर्देश दिए कि यूको बैंक नाहन जिला उपभोक्ता फोरम सिरमौर नाहन द्वारा पारित आदेशो पर कार्रवाई करते हुए शिकायतकर्त्ता से अधिक अवैध वसूली दंडात्मक/अतिदेय ब्याज दरों को वापस करें ।