निजी क्षेत्र के सहयोग से वन आवरण को बढ़ावा देने में वरदान साबित होगी मुख्यमंत्री ग्रीन एडॉप्शन योजना

उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य राज्य के वास्तविक वन क्षेत्र को बढ़ाना है, जिसके लिए क्षतिग्रस्त वन भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे सतत वन प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा, जैव विविधता में वृद्धि होगी और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध पारिस्थितिक तंत्र मजबूत होगा।
उन्होंने कहा कि सतत वन प्रबन्धन में सामाजिक सहभागिता की भूमिका अहम है। मुख्यमंत्री ग्रीन एडॉप्शन योजना में निजी संस्थानों को शामिल करने से स्थानीय समुदायों की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे उन्हें पौधरोपण, सिंचाई, निराई और पौधों का रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए वन प्रहरी सहित अन्य रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय जैसे महिला मंडल, युवक मंडल, स्वंय सहायता समूह और पंचायत प्रतिनिधि रोपित क्षेत्रों का दीर्घकालिक रख-रखाव सुनिश्चित करेंगे जिससे स्थानीय लोगों के लिए आजीविका भी सुनिश्चित होगी।
प्रवक्ता ने कहा कि इस योजना से संबंधित व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए वन विभाग की वेबसाइट पर एक समर्पित अनुभाग बनाया जाएगा, जिसमें उपलब्ध क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों की सूची भी प्रदर्शित की जाएगी। इसकी योजना से लेकर निगरानी तक के प्रत्येक चरण में वन विभाग तकनीकी मार्गदर्शन और विशेषज्ञता प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि यह योजना वास्तव में जैव विविधता को बढ़ावा देने, वायु गुणवत्ता में सुधार लाने और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत करनेे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि यह योजना पात्र संस्थाओं को सतत पर्यावरणीय विकास की दिशा में अपने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व को प्रभावी ढंग से निभाने का एक सुव्यवस्थित मंच प्रदान करेगी, जिससे उन्हें जिम्मेदार कॉरपोरेट नागरिक और राज्य के ‘ग्रीन पार्टनर’ के रूप में पहचान मिलेगी और उनके ब्रांड मूल्य में वृद्धि होगी।