अक्स न्यूज लाइन शिमला 31 मई :
भाजपा प्रदेश महामंत्री डॉ सिकंदर कुमार ने बताया कि हम आपसे सांझा करना चाहेंगे कि दिल्ली में एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित राष्ट्रीय स्मृति सम्मेलन पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद व्याख्यानों की 60वीं वर्षगांठ के उद्घाटन समारोह प्रारंभ हुआ, जो 31 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे अरुण कुमार सह कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा उद्घाटन सत्र द्वारा प्रारंभ किया गया। इस समारोह में हिमाचल से कर्ण नंदा मीडिया प्रभारी, मुख्य प्रवक्त राकेश जमवाल, विधायक त्रिलोक जमवाल, पूर्व मंत्री राजीव सहजल, कमल शर्मा सचिव समित शर्मा, सीमा ठाकुर, डॉ सपना कश्यप, रविंदर, ने भाग लिया।
यह अधिवेशन 2 दिन का रहने वाला है। प्रथम दिन 31 मई 2025 12:15 से 01:45 बजे तक शिवप्रकाश एवं डॉ. महेश चंद शर्मा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय व्यक्ति और विचार, द्वारा सत्र 3 दोपहर से 4:30 दोपहर तक शंकरानंद एवं निर्मला सीतारमण केंद्रीय मंत्री ने कार्य, संपत्ति और कल्याण, जन प्रथम अर्थव्यवस्था की ओर, तीसरा सत्र 5 सायं से 6:30 सायं तक डॉ एमएस चैत्र एवं डॉ. सुकांत मजूमदार ने शिक्षा और संस्कृति भारत का वैश्विक भविष्य गढ़ना और प्रफुल्ल केतकर एवं भूपेंद्र यादव ने सतत् विकास आचार सहित समृद्धि पर अपना वक्तव्य रखा। यह आयोजन डॉ. श्यामा प्रसाद मूकर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम में डॉ. महेश चंद्र शर्मा पूर्व राज्यसभा सांसद हैं और दीनदयाल उपाध्याय की 15 खंडों वाली संपूर्ण कृतियों के संपादक हैं। एक विद्वान और कार्यकर्ता, वे वर्तमान में एकात्म मानववाद अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, जबकि अपने योगदान के माध्यम से एकात्म मानववाद के दर्शन में व्यापक योगदान देते हैं।
शंकरानंद बी.आर. एक शिक्षक और भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन सचिव हैं। वे शिक्षा में भारतीय संस्कृति को एकीकृत करने के प्रबल समर्थक हैं और उनका मानना है कि भारत-केंद्रित ज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणालियों में निहित एनईपी, भारत के विश्वगुरु के रूप में उभरने की कुंजी है।
प्रफुल्ल केतकर, वरिष्ठ पत्रकार और 2013 से ऑर्गनाइजर (साप्ताहिक) के संपादक हैं, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामलों, लोकतंत्र, हिंदुत्व और भारतीय सभ्यता पर कई किताबें और लेख लिखे हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता सलाहकार बोर्ड में कार्यरत हैं और उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की संपूर्ण कृतियों का सह-संपादन किया है।