किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करेगी मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना
प्रदेश के मात्स्यिकी विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही इस योजना में किसानों को कार्प मत्स्य पालन के तालाब निर्माण के लिए इकाई लागत पर 80 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने बजट भाषण में इस योजना की घोषणा की थी। इसका प्रमुख लक्ष्य राज्य की मछली पालन क्षमता को बढ़ावा देने और युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना है। योजना के तहत किसानों और बेरोजगार युवाओं को मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने का अवसर मिलेगा।
8 जिलों में हो रहा है कार्यान्वयन
योजना को प्रारंभिक चरण में हिमाचल प्रदेश के ऊष्ण जलीय 8 जिलों में लागू किया गया है, जिसमें ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा, मंडी, सोलन, और सिरमौर शामिल हैं। मात्स्यिकी विभाग के निदेशक एवं प्रारक्षी (मत्स्य) विवेक चंदेल ने बताया कि यह योजना राज्य की मछली पालन क्षमता को उभारने और कृषि से जुड़े लोगों को एक नया आय का स्रोत प्रदान करने की दिशा में कारगर सिद्ध होगी। इस योजना के तहत मछली पालन के लिए प्रति हेक्टेयर 12.40 लाख रुपये की लागत तय की गई है। इसमें 8.40 लाख रुपये तालाब निर्माण के लिए और 4 लाख रुपये प्रथम वर्ष की आदान लागत के रूप में शामिल हैं। कुल इकाई लागत पर 80 फीसदी सब्सिडी का प्रावधान है।
मछली तालाबों की न्यूनतम स्वीकार्य इकाई प्रति लाभार्थी 0.05 हेक्टेयर और अधिकतम स्वीकार्य इकाई प्रति लाभार्थी एक हेक्टेयर क्षेत्र होगी।
बेरोजगार युवाओं के लिए सुनहरा अवसर
मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना विशेष रूप से उन बेरोजगार युवाओं के लिए आकर्षक है, जो स्वरोजगार की तलाश कर रहे हैं। ऊना जिले के मत्स्य पालन विभाग के उपनिदेशक विवेक शर्मा ने बताया कि अधिक से अधिक किसानों और युवाओं को इस योजना से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। आवेदन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लिए जाएंगे और प्राथमिकता बेरोजगार युवाओं को दी जाएगी। योजना में शामिल होने के लिए आवेदकों को जिला मत्स्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क करना होगा और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जैसे कि भूमि का स्वामित्व या 10 वर्ष के पट्टे पर ली गई भूमि का पंजीकृत दस्तावेज। आवेदकों का बैंक खाता और मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना अनिवार्य है।
योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को मछली पालन के लिए 0.05 हेक्टेयर से 1 हेक्टेयर तक की इकाइयां स्वीकार्य होंगी। तालाब निर्माण के लिए दी जाने वाली सब्सिडी दो किस्तों में जारी की जाएगी। पहली किस्त 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर और दूसरी किस्त 100 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर दी जाएगी। इसके अलावा, प्रथम वर्ष की आदान लागत की सब्सिडी भी लाभार्थी को मछली पालन के पहले वर्ष के सभी आवश्यक इनपुट प्रदान करने के बाद जारी की जाएगी।
लाभार्थियों को परियोजना के पूरा होने के बाद कम से कम सात साल तक तालाब का रखरखाव करना होगा और मछली पालन जारी रखना होगा। मत्स्य पालन विभाग के साथ एक समझौता भी किया जाएगा, जिसमें परियोजना से जुड़े नियमों और शर्तों का पालन अनिवार्य होगा।
ग्रामीण आर्थिकी के नए आयाम
यह योजना राज्य के ग्रामीण आर्थिकी को नए आयाम देने में मददगार होगी। पारंपरिक कृषि पर निर्भर रहने वाले किसानों के लिए मछली पालन एक न केवल आय का वैकल्पिक साधन बनेगा, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकों और अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ाने का अवसर भी मिलेगा। एक हेक्टेयर तालाब निर्माण से जुड़ी लागत में 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करना सरकार की तरफ से एक बड़ा प्रोत्साहन है, जो किसानों को इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को आजमाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
योजना के तहत सरकारी प्रोत्साहन और तकनीकी सहायता से लाभार्थी न केवल अपनी आजीविका का जरिया बना सकेंगे, बल्कि आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश को मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने में भी योगदान दे सकते हैं।
क्या कहते हैं उपायुक्त
उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री श्री सुखंिवंदर सिंह सुक्खू का पारंपरिक खेती को मजबूत करने के साथ साथ ऐसे विकल्प प्रदान करने पर जोर है जो ग्रामीणों को दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और युवाओं को स्वरोजगार के साधन प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा ‘हम जिले में इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए मत्स्य पालन विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह योजना किसानों, युवाओं और मछली पालन में रुचि रखने वालों के लिए एक सुनहरा अवसर है।