धनेड़ में पोषण चौपाल लगाकर दिया ‘सही पोषण, देश रोशन’ का संदेश

उन्होंने ‘सही पोषण देश रोशन’ पर लोगों को जागरुक करते हुए गर्भावस्था से ही संतुलित आहार लेने तथा प्रसव के तुरंत बाद बच्चों को स्तनपान शुरू करने और मां के पहले दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, को बच्चे को पिलाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि यह दूध बच्चे के लिए प्राकृतिक टीकाकरण जैसा होता है।
डॉ. श्रेया भाटिया ने कहा कि 6 माह तक केवल और केवल मां का दूध ही बच्चे को दिया जाए जैसे ही बच्चा 6 महीने का हो जाए उसे हल्का गाढ़ा भोजन दिया जाए तथा कम से कम 2 वर्ष तक मां बच्चे को दूध पिलाए जिससे हम कुपोषण को जड़ से मिटाने में सफल होंगे। इसके साथ-साथ उन्होंने छोटे बच्चों को कम से कम मोबाइल दिखाने तथा जंक फूड न देने के बारे में भी जागरुक किया।
कार्यक्रम में संरक्षण अधिकारी एवं वृत्त पर्यवेक्षक तिलकराज ने भी 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्र में हर महीने वजन और ऊंचाई का माप लेने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे कुपोषण का पता चल सके और कुपोषित बच्चों का स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व पोषण पोषण पुनर्वास केंद्र में उपचार किया जा सके। कार्यक्रम में रीता कुमारी पोषण खंड समन्वयक ने मोटापे की समस्या एवं इससे निपटारे के लिए चीनी, घी और तेल का कम से कम उपयोग करने के लिए लोगों को जागरुक किया उन्होंने पारंपरिक व्यंजनों के साथ-साथ स्थानीय फल व सब्जी का अधिक से अधिक प्रयोग करने की भी सलाह दी ।
शिविर में स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ गर्भवती एवं धात्री माताओं, महिला मंडल सदस्यों तथा स्थानीय ग्रामवासियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने पौष्टिक व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई।