अक्स न्यूज लाइन शिमला 3 मार्च :
एफ् आई अखिल भारतीय केंद्रीय कमेटी के आहवान पर हिमाचल प्रदेश एस एफ आई राज्य कमेटी ने जिलाधीश कार्यालये के बहार धरना प्रदर्शन किया गया ।
इस् धरना प्रदर्शन की भूमिका बांधते हुए साथी अंशुल ने कहा की पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और उनके सहयोगियों द्वारा जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों पर जघन्य हमलों की कड़ी निंदा करता है। बिते दो दिन पहले पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री टीएमसी यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय गए थे। जब छात्रों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया और तत्काल छात्र संघ चुनाव की मांग करते हुए प्रतिनियुक्ति देने की मांग की - जो पूरे पश्चिम बंगाल में छात्रों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी - तो उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा।
इस् धरना प्रदर्शन को आगे बड़ाते हुए एस एफ आई राज्य सेह सचिव उपेन्दर ने कहा की पश्चिम बंगाल में 2017 के बाद से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं और जादवपुर यूनिवर्सिटी में आखिरी चुनाव जनवरी 2020 में हुआ था.
जैसे ही एसएफआई कार्यकर्ताओं सहित छात्रों ने अपनी जायज मांगें उठाईं, टीएमसीपी से जुड़े गुंडों-जिनमें से कई बाहरी थे-ने क्रूर हमले किए। हिंसा के एक चौंकाने वाले प्रदर्शन में, शिक्षा मंत्री का वाहन लखीमपुरखीरी घटना (किसान आंदोलन के दौरान) की तरह एक प्रदर्शनकारी छात्र पर चढ़ गया, जबकि गुंडों ने दूसरों पर अंधाधुंध हमला किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए और अस्पताल में भर्ती हुए। बाद में सरकार ने झूठा दावा किया कि छात्रों ने मंत्री पर हमला किया था।
साथी उपेन्दर ने कहा की पिछले 6 महीनो से संजोली महाविद्यालय में 6 छात्रों के अवैध निष्कासन को लेकर एस एफ आई निरंतर आंदोलन लड़ रही है। यह निष्कासन संजोली महाविद्यालय प्रशासन की तानाशाही व विश्वविद्यालय प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है। हमारा यह मानना है कि यह निष्कासन पूर्ण रूप से कांग्रेस सरकार के राजनीतिकरण के अनुसार किया जा रहा है। जिससे प्रशासन व सरकार के गठबंधन का झोल साफ दिखता है। 4 महीने पहले हिमाचल प्रदेश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को एक फ़रमान जारी किया गया जिसमें कहा था कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले पर एक जांच कमेटी गठित करें। जो छात्रों के भविष्य की महत्वता को समझते हुए उचित कार्रवाई करें। लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी रिपोर्ट देने में पूर्ण रूप से नाकामयाब सिद्ध हुआ है, जो कि प्रशासन की लापरवाही को भी प्रतिबिंबित करता हैं। यह निष्कासन छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार की भी अवहेलना करता है। अभी तक उन छात्रों को परीक्षा देने की निर्णायक लड़ाई में एस एफ आई सफल हुई हैं। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की जांच कमेटी इस मामले पर पूर्ण रूप से निष्क्रिय साबित हुई है।
2014 के छात्र संघ चुनाव पर प्रतिबंध लगने के बाद छात्रों के जनवादी अधिकारों पर हमले और अधिक तेजी से बड़े हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण आज संजौली महाविद्यालय पूरे देश में बन गया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की बात की जाए तो 70 फ़ीसदी विधायक छात्र संघ चुनाव या छात्र राजनीति से निकले हैं। जिनमें भूत पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व वर्तमान समय के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खु भी शामिल है। छात्र संघ चुनाव शिक्षक व विद्यार्थियों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता था। लेकिन आज उसी कड़ी को तोड़ते हुए प्रशासन ने उसका बेडी़यो के रूप में छात्रों के साथ व्यवहार किया है। परिणाम स्वरूप छात्रों के विरोध पर मनाही व नीतियों को जबरन थोपने का कार्य किया जा रहा है।
एस एफ आई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं। एसएफआई विश्वविद्यालयों में छात्र को लाम्बबंद करते हुए आंदोलन करेगी और विश्वविद्यालय में तत्काल छात्र संघ चुनावों की उनकी उचित मांग करेगी ।