कृषि अवसंरचना कोष’ योजना पर राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव कृषि मंत्री ने किया शुभारम्भ

कृषि अवसंरचना कोष’ योजना पर  राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव कृषि मंत्री  ने  किया शुभारम्भ

अक्स न्यूज   लाइन .. शिमला, 24 नवम्बर

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतम आबादी का नियमित आया का स्रोत खेती है। आज के समय में कृषि सबसे तेजी से बढ़ते व्यावसायिक क्षेत्र के रूप में उभर रही है। युवा पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए आवश्यक है कि इसकी आधारिक संरचना का आधुनिक समय की मांग अनुसार विकास किया जाए। यह बात कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कृषि विभाग द्वारा ‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना पर आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य स्तरीय कॉन्क्लेव में बतौर मुख्यातिथि कही। इससे पूर्व, उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कॉन्क्लेव का शुभारम्भ किया।

उन्होंने बताया कि कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से प्रदेश में कृषि सम्बन्धी अधोसंरचना के विकास हेतु अधिकतम 9 प्रतिशत की ब्याज दर पर दो करोड़ तक के लोन पर तीन प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। उन्होंने कहा कि कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी, मशीनरी, अनुसंधान व उन्नत बीज के समावेश से किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य में वांछित सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में पूंजीगत निवेश की अपार संभावनाएं हैं। यहां पर कोल्ड स्टोर, प्रोसेसिंग प्लांट्स, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट्स, पैकेजिंग यूनिट्स, वेयरहाउस और सप्लाई चेन सम्बन्धी अधोसंरचना आदि क्षेत्रों में निवेश कर लाभ अर्जित किया जा सकता है।

इससे प्रदेश में रोजगार एवं स्वरोजगार के हजारों अवसर भी सृजित होंगे।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से प्रदान की जा रही सुविधाओं के दायरे में विविधता लाने के साथ साथ लाभार्थियों तक इसके लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया में सरलता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ एकल खिड़की मंजूरी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘कृषि अवसंरचना कोष’ योजना समेत विभिन्न योजनाओं का लाभ छोटे, जरूरतमंद एवं गरीब किसान को आसानी से प्राप्त हो।

इसके लिए योजना के लाभ घर-द्वार पर उपलब्ध किये जाने चाहिए। इससे किसान के समय एवं धन की बचत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि अवसंरचना कोष के तहत परियोजनाओं के लिए प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है ताकि इसके व्यवहारिक लाभ लोगों को मिल सके। उन्होंने प्रदेश में सिंचाई अवसंरचना के निर्माण पर भी बल दिया और कहा कि एक मजबूत और आधुनिक सिंचाई व्यवस्था के विकास से ही कृषि क्षेत्र में सम्पान्नता लायी जा सकती है।

कृषि मंत्री ने कहा की राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है ताकि उनका संपन्न एवं सुनहरा भविष्य सुनिश्चित हो।  

इस अवसर निदेशक, कृषि अवसंरचना कोष, केंद्रीय कृषि मंत्रालय, के आर मीणा ने राज्य सरकार का इस आयोजन के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ के प्रावधान के साथ वर्ष 2020 में इस योजना की शुरुआत की गयी थी। इस योजना के तहत प्रदान किये जा रहे लाभों को केंद्र और राज्य सरकारों की उपदानध्सबवेंशन की योजनाओं के साथ जोड़ा जा सकता है।
कृषि अवसंरचना कोष के तहत हिमाचल प्रदेश को 925 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। अब तक कुल 599

आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमे से 438 आवेदनों को सत्यापित किया जा चूका है। इनमें से 221 करोड़ रुपये के 324 आवेदनों को विभिन्न बैंको से स्वीकृति मिल चुकी है और 67 करोड़ रुपये लाभार्थियों को प्रदान किये जा चुके हैं।
इस अवसर पर सचिव, कृषि विभाग, सी पालरासु, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, रघबीर सिंह व जीत सिंह ठाकुर, डीजीएम, नाबार्ड, संजीव शर्मा, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक प्रदीप केसरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।