हिम जनमंच सांस्कृतिक सोसायटी द्वारा पारम्परिक लोक गीत पर कवि गोष्ठी तथा गायन प्रस्तुतिकरण का आयोजन किया

हिम जनमंच सांस्कृतिक सोसायटी द्वारा पारम्परिक लोक गीत पर कवि गोष्ठी तथा गायन प्रस्तुतिकरण का आयोजन किया

अक्स न्यूज लाइन नाहन 13 फरवरी :

 संयम होटल नाहन में हिमाचल कला, संस्कृति तथा भाषा अकादमी शिमला के सौजन्य से हिम जनमंच सांस्कृतिक सोसायटी द्वारा जनपद सिरमौर के पारम्परिक लोक गीत" नामक विषय पर कवि, लेखक गोष्ठी तथा गायन प्रस्तुतिकरण का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डा० प्रेम भारद्वाज प्रार्चाय पीजी० कालेज नाहन इस अवसर पर मुख्य अतिथि के उपस्थित रहे तथा रोहताश शमनि कार्यक्रम की अध्यक्षता की। संस्था अध्यक्ष केवरसिंह नेगी ने मुख्य अतिथि व उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए बताया कि जनपद सिरमौर में नाईष्ट्र, चारटू, सेन्टू र तथा हाटी बोलियाँ का सम्मिश्रण है। पारम्परिक लोक गीतों में भूरी, गंगी, भाभी, लामण, छड़ा, हारुल, पोआड़ा, मुजरा तथा रासा गीत पाए जाते हैं।

हिमजनगंच सोसायटी विशुद्ध सिरमौरी गीतों में बाहरी रिमिटिंग (री मीन्स) का विरोध करती है। लिए लामा शोऊजो लागी री बोसारी, छोटे बोडे थे के बोल महीना लामा गीताराम तोमर ने सीमीया गोले ठूलो री माला गीत - नईया जबकि गुमानसिंह ठाकुर ने मेरे गाने के गीत प्रस्तुत किया। चाला, कविता पढी तथा जजन्धकराम शास्त्री ने नेगी नीतीराम की वीरगाथा पेश कर दर्शकों लायाह वाही लूटी। सोनिका कपिला लोक गाईका ने मेरा कर दर्शकों सिरमौर गीत गा कर बाका का मन मोहा। इसके पश्चात मोनिका शर्मा ने अपने पारम्परिक सिरमौरी गीतों पर नम्चाया। लाड़ी दूरीकों को खूब सरमा शाह कतिये कुल पोलू दे ऐसी मुजरे जुग जवाना दे लागणे तैथा छेड़ छजो रे गोरखिए गीत में सभी दर्शका नाचने बताया कि शर्मा, हुए। मजबूर कार्यका की भूरी भूरी प्रशंसा करते नारायण गीतों का संरक्षण समय की मांग सिरमौरी लाक अमर दाशटा राणाकार, लालसिंह शमी, सुरेश शर्मा सहित लगभग करते हुए है। इस दर्शकों ने कार्यक्रम का आनंद लिया।