गुटबाजी में बंटा महासंघ न मजबूत न कर्मचारी हितैषी : तारा सिंह
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में तारा सिंह ने कहा कि कर्मचारी महासंघ की स्थापना 20 नवम्बर 1966 को हुई थी और इसका उद्देश्य प्रदेश के कर्मचारियों को एक मंच पर संगठित करना था तथा इसके माध्यम से कर्मचारियों के हित में सरकार के समक्ष उनकी समस्याओं व मांगों को दृढ़ता से उठाया जा सके। लेकिन यह बड़े खेद का विषय भी है और आत्ममंथन का भी कि कुछ कर्मचारी नेताओं ने निजी स्वार्थ के चलते अपने-अपने समानांतर कर्मचारी गुट बना लिए हैं, जिसकी वजह से कर्मचारियों की समस्याआंे की अनदेखी हो रही है।
तारा सिंह ने कहा कि इसी गुटवाजी के चलते जेसीसी की बैठकें समय पर आयोजित नहीं हो पाती और जो होती भी हैं बेनतीजा निकलती हैं। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि ज़िला ऊना का इतिहास रहा है कि यहां कभी भी समानांतर कर्मचारी गुटवाजी खड़ी नहीं हुई और बिना किसी के प्रभाव में आए कर्मचारियों के हितांे को लेकर सीधी आवाज़ बुलन्द की है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर महासंघ के पूर्व में रहे जिला के प्रतिष्ठित कर्मचारी नेताओं के संघर्ष और बलिदान का भी जिक्र किया गया। इसके ज़िला में कर्मचारियों को आ रही दिक्कतों और उनके निदान के लिए सरकार के समक्ष मुद्दों को उठाने पर भी चर्चा की गई।
प्रतिनिधियों में महासचिव राजेश कुमार, पूर्व प्रधान एवं राज्य प्रतिनिधि रमेश ठाकुर व राजीव पाठक, महासंघ के खण्ड हरोली के प्रधान हरजिंदर सिंह, कानूनी सलाहकार मंजीत सिंह, संयुक्त सचिव भरत भूषण सहित अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।