एनीमल लर्वस के हौंसले बुलंद.......जिला प्रशासन हुआ बेबस और नगर परिषद नाकाम.....
अरूण साथी
अक्स न्यूज लाइन ..नाहन 13 अगस्त - 2023
शहर में सालों से अपने आप को एनीमल लर्वस कहलाने वाले खासतौर से कुत्ते पालने वाले सैंकड़ों लोगों पर नगर परिषद तो सियासी दखल के चलते कोई कारवाई करने में आज तक नाकाम रही ही है साथ साथ जिला प्रशासन भी इनकी उंची पहुंच केआगे बेबस और लाचार साबित हुआ है। पूर्व में जिला प्रशासन ने सड़कों पर बेसहारा घुमने वाले गोवंश के मालिकों पर दस हजार रुपये व सार्वजनिक स्थालों पर कुत्ता घुमाने वाले लोगों पर पांच सौ रुपये जुर्माना करने के आदेश दिए थे।
हैरानी की बात यह कि नगर परिषद में आज तक एक भी कुत्ता घुमाने वाले का चालान नही किया है ऐसे लोग अपने कुत्ते लेकर रोजाना सड़कों व अन्य सभी सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने में लगे है। सिस्टम की अनदेखी के कारण लोग ऐतिहासिक सैरगाह विला राउंड , रानी ताल आदि में भी बेख़ौफ़ होकर कुत्ता घुमाने आ रहे हैं यहां गंदगी फै ल रही है जबकि यहां कुत्ते घुमाने पर प्रतिबंध लगा है। मॉल रोड़, पक्का टैंक क्षेत्र में रोजाना प्रमुख सड़क में कु त्ता घुमाने वाले गंदगी फै लाने में लगे है। आलम यह है कि अगर इनको रोकने की कौशिश करने वालों के यह लोग गाली गलौच करने लगते है।
इसके अलावा शहर में स्टे डॉग की संख्या में लगातार इजा ा हो रहा है। पैदल चलने वाले लोगों पर हमला बोल रहे हैं। शहर में स्टे डॉग भारी संख्या में है जिनसे गंदगी बढ रही है ऐसे में शहर में सफाई कर्मियों को यह गंदगी उठाने में परेशानी आ रही है पैदल चलने वाले लोगों को बदबू का सामना करना पड़ रहा है।
शहर में सड़कों पर घुमाने वाले गोवंश की संख्या कम नही हूई है। पूर्व में नगर परिषद ने जिला प्रशासन के आदेशों के बाद बेसहारा गौवंश को सडकों पर से उठाकर कोटला बांगी गो सदन भेजा था। जबकि टैग लगे दर्जनों गोवंश जगह जगह शहर में कचरा खाते नजर आता है।
जिला मुख्यालय में उत्पात मचाने वाले सैंकड़ों बंदरों से जनता सालों से परेशान है। सरकार की कोई भी योजना बन्दरों के आतंक से निजात नही दी ला सकी। बंदरों के हमले से घायल होने वालों का आंकड़ा लगातार बढता जा रहा है।
हमलावर बने बन्दर भारी नुकसान कर रहे है। टेलीफोन ,इंटरनेट की केबल ध्वस्त देते हैं। अब तो बिजली के खंबों की इतना हिलाते की तारे टूट जाती है
ऐसे में पूर्व में एक हादसा पक्का टैंक के नजदीक हो चुका है। लोगों छतों पर लगे गेट,ग्रिल हिला हिला कर तोड़ रहे है। गमलों को तोड़ देते है। महंगे प्लांट्स उखाड़ कर फेंक रहे है पानी की टंकियों के ढक्कन उखाड़ फेंकते है। बंदरों का इतना आतंक इतना है कि लोग अपने घरों को छतों पर जाने से कतराने लगे हैं। दुकानों के बाहर लगे फ्लेक्स बोर्ड ध्वस्त करने में पीछे नहीं है।