सुनिश्चित एवं पूर्व निर्धारित हों प्रवेश तिथियां : पुंडीर

नाहन,10 जुलाई: हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ सिरमौर के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने कहा कि बार-बार बढ़ती जा रही प्रवेश की तिथियों से परीक्षाओं पर विपरीत असर पढऩे की संभावना है जहां एक और शिक्षा विभाग द्वारा प्रवेश की तिथियों को 31 जुलाई तक बढ़ाया गया है वही शिक्षा बोर्ड द्वारा सितंबर में प्रस्तावित छमाही परीक्षाओं की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
अब तक अधिकतर विद्यालयों में शिक्षकों ने अपने अपने विषय का प्रथम छमाही का पाठ्यक्रम लगभग पूर्ण कर लिया है और दोहराई का कार्य किया जा रहा है।
पुंडीर ने कहा कि ग्रीष्मकालीन विद्यालयों में 29 जुलाई तक अवकाश है अब नए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को वही पाठ्यक्रम पुन: करवाना पड़ेगा। जिससे जहां एक और कक्षा में अधिकतर विद्यार्थी निष्क्रिय बैठेंगे वहीं केवल कुछ विद्यार्थियों पर शिक्षकों को अधिक जोर देना पड़ेगा ताकि मात्र 1 माह जिसमें भी आठ दिन का अवकाश है के भीतर वह 6 माह का पाठ्यक्रम पूरा कर पाए। उन्होने कहा कि विद्यार्थियों पर मानसिक दबाव पडऩा भी अवश्यंभावी है।
प्रवक्ता संघ शिक्षा विभाग से निवेदन करता है कि प्रवेश की तिथियां पूर्व निर्धारित एवं सुनिश्चित हो एवं ग्रीष्म कालीन और शीत कालीन अवकाश को भी दोनों टर्म की परीक्षाओं के अनुसार पूर्व में ही निर्धारित किया जाए। हर वर्ष अनावश्यक बदलाव न किया जाएं। अधिक से अधिक विद्यार्थियों को नियमित शिक्षा प्रदान करना शिक्षा विभाग, शिक्षकों एवं विद्यालयों का सामूहिक उत्तरदायित्व है।
संघ के राजकीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र नेगीए जिला महासचिव आईडी राहीए राज्य कार्यकारिणी सदस्य संजय शर्मा, सतीश शर्मा, रमेश नेगी कहा कि केवल बहुत ही अनिवार्य एवं अपरिहार्य कारणों पर निश्चित तिथि के उपरांत प्रवेश की शक्तियां संबंधित विद्यालय प्रमुखों व प्रधानाचार्य को प्रदान की जाए। जिससे विद्यार्थियों की शिक्षा एवं शैक्षणिक माहौल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बार-बार बदलती जा रही प्रवेश की तिथियों से विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति गंभीरता भी कम होती जा रही है। जो निश्चित रूप से कक्षा परिणाम को प्रभावित करेगी।
संघ अध्यक्ष ने कहा कि परीक्षा में अच्छे परिणाम के लिए विद्यार्थियों का गंभीर होना अनिवार्य हैं । अत: प्रवेश से लेकर परीक्षाओं तक सभी तिथियों का सुनिश्चित होना भी अनिवार्य है जिससे विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति निरंतर कम होती जा रही है गंभीरता को नियंत्रित किया जा सके। सरकारी विद्यालयों के परीक्षा परिणामों को और बेहतर किया जा सके।