मुख्यमंत्री ने ढली में विशेष रूप से सक्षम बच्चों के संस्थान के नए भवन का लोकार्पण किया
मुख्यमत्री ने कहा कि वर्तमान में इस संस्थान में 140 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है जिनमें 106 श्रवणबाधित और 34 दृष्टिबाधित छात्र शामिल हैं। इस संस्थान में छात्रों को पहली से 12वीं कक्षा तक निःशुल्क आवासीय सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, छात्रों को यहां हस्तशिल्प, बेकरी, कम्प्यूटर कौशल और बागवानी जैसे क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है ताकि भविष्य में वे आत्मनिर्भर बन कर सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकंे।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष दिवाली पर्व के दृष्टिगत राज्य सरकार के कर्मचारियों व पेंशनरों सहित विभिन्न बोर्डों और निगमों के कर्मचारियों को 28 अक्तूबर को वेतन और पेंशन जारी की जाएगी। यह निर्णय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, आउटसोर्स कर्मचारियों पर भी लागू होगा ताकि वे दिवाली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मना सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले लगभग 20 माह के कार्यकाल के दौरान प्रदेश सरकार ने 2600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। इसका 30 प्रतिशत सामाजिक क्षेत्र को आवंटित किया गया है जबकि शेष ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अन्य क्षेत्रों पर खर्च किया जा रहा है। प्रदेश के सामाजिक उत्थान पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के सामाजिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और 18 वर्ष से अधिक की पात्र महिलाओं को 1500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि 27 वर्ष तक के विशेष रूप से सक्षम बच्चों के कल्याण के लिए अगले वित्त वर्ष में एक नई योजना आरम्भ की जाएगी। इसके अलावा, 70 वर्ष से अधिक की आयु के बुजुर्गों की देखभाल के लिए भी आवश्यक प्रावधान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विशेष रूप से सक्षम, अनाथ बच्चों, विधवाओं और 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकांे के कल्याण पर विशेष बल दे रही है।
श्री सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार विशेष रूप से सक्षम बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली औपचारिक और व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव रखने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। जिला सोलन के कंडाघाट में 45 बीघा भूमि पर विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है जिसमें 300 बच्चों के रहने की सुविधा उपलब्ध होगी। इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य विशेष रूप से सक्षम बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम बन सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विशेष रूप से सक्षम बच्चों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने तथा शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है और यह नवनिर्मित भवन इन बच्चों कोे एक उज्ज्वल एवं सुरक्षित भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का दर्जा देकर उन्हें नई पहचान दी है। प्रदेश की बागडोर संभालने के उपरान्त मुख्यमंत्री ने पहला दौरा शिमला में टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम का किया तथा सरकार ने अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए एक योजना शुरू की, जो समाज के कमजोर वर्गों के प्रति उनकी चिंता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों के कल्याण और देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना है।
डॉ. शांडिल ने कहा कि ढली में नवनिर्मित भवन संवेदनशील वर्गों के कल्याण के प्रति मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए कई पहल शुरू की गई हैं जो इन बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की नींव है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव आशीष सिंहमार ने कहा कि इस परियोजना में मुख्यमंत्री की विशेष रूचि और सहयोग के कारण ही इस नए भवन का निर्माण सम्भव हुआ है। उन्होंने विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी दी। इस अवसर पर बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विधायक हरीश जनारथा, महापौर सुरेन्द्र चौहान, उप-महापौर उमा कौशल, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक किरण भड़ाना, एसजेवीएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक सुशील शर्मा, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता एनपी सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।