मौसमी बदलाव से फलदार फसलों का करें बचाव

उपनिदेशक ने बागवानों को सलाह दी है कि वे क्षतिग्रस्त फलदार पौधों के टूटे हुए भागों की तुरंत छंटाई करें और उसके उपरांत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या कार्बेन्डाजिम फंफूदनाशक दवाई का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर उसका छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि अभी मौसम में बदलाव से वातावरण में आर्द्रता बढ़ गई है, जिससे फलों और फूलों में बीमारियों तथा कीटों के प्रकोप की आशंका प्रबल है। इसलिए, आम की फसल में सफ़ेद चूर्ण बीमारी आने पर एक मिलिलीटर हैक्साकोनाजोल का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर तथा हॉपर कीट का प्रकोप होने पर 0.4 मिलिलीटर इमिडाक्लोप्रिड दवाई का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर इसका छिड़काव मौसम साफ़ होने पर अवश्य करें।
नींबू प्रजातीय फल फसलों में एफिड कीट का प्रकोप दिखाई देने पर एक मिलिलीटर मोनोक्रोटोफॉस दवाई का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव सुनिश्चित करें। इसी तरह अनार की फसल में तितली या फल छेदक कीट के आने पर एक मिलिलीटर साईपर मेथ्रिन का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर या 0.25 मिलिलीटर इन्डोक्साकार्ब दवाई में प्रति लीटर पानी का घोल का बनाकर छिडकाव करें तथा 10 दिन के बाद छिड़काव दोहराएं। अधिक जानकारी के लिए बागवान अपने नजदीकी बागवानी कार्यालय या जिला मुख्यालय मंे स्थित विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।