ऑफ़िसिएटिंग प्रिंसिपल्स के सहारे मेडिकल कॉलेज नाहन : 9 साल में 2 नियमित 5 को मिला चार्ज...

अक्स न्यूज लाइन नाहन 26 जुलाई : अरुण साथी
सूबे की सत्ता आई कांग्रेस-भाजपा की सरकारें मेडिकल कॉलेज नाहन के प्रबंधन को सुचारू रूप से चलाने के मामले कितनी गंभीर है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज नाहन की पिछले 3 सालों से घोर अनदेखी जारी है। कॉलेज को यहां से शिफ्ट करने को लेकर सियासी घमासान भी है ।
गौर तलब है कि मेडीकल कॉलेज नाहन में पिछले 9 सालों से सरकार ने 7 प्रिंसिपल तैनात किए है। इसमें से मात्र 2 प्रिंसिपल रेगुलर भेजे गए जबकि 5 सीनियर डॉक्टरों को कॉलेज प्रिंसिपल पद का चार्ज सौंपा गया है।
वर्ष 2016 में डॉ जयश्री शर्मा मेडीकल कॉलेज की पहली रेगुलर प्रिंसिपल तैनात हुईं, 2019 में डॉ ए.के.शाही ऑफ़िसिएटिंग फिर 2020 में डॉ अनिल कांगा-ऑफ़िसिएटिंग प्रिंसिपल बनाये गए । वर्ष 2020 में सरकार ने डॉ के.के.मोहिंद्रों को रेगुलर चार्ज दिया गया। वर्ष 2022 में डॉ श्याम लाल कोशिक को ऑफ़िसिएटिंग प्रिंसिपल लगाये गए। वर्ष 2023 में डॉ राजीव तूली को ऑफ़िसिएटिंग व 6 मई 2025 से डॉ एस एस डोगरा को प्रिंसिपल का जिम्मा सौंपा गया है मिली जानकारी के अनुसार डॉ डोगरा फिलहाल एक्सटेंशन है। डॉ डोगरा भी बीते साल रिटायर हुए थे सरकार ने एक साल की एक्सटेंशन देकर मेडीकल कॉलेज में बतौर प्रिंसिपल भेजा था। डोगरा को मिली एक्सटेंशन दिसम्बर 2025 तक बताई जाती है।
कॉलेज प्रबंधन के भरोसे मंद सूत्रों के अनुसार पिछले कई सालों से नाहन मेडिकल कॉलेज ऑफ़िसिएटिंग या रिटायर होकर एक्सटेंशन पर आए प्रिंसिपल के सहारे चलाया जा रहा है। ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज में लंबे सालों से रेगुलर प्रिंसिपल तैनात किये जाने की आवाज उठती रही है। अभी तक तो आलम यह यह है कि पिछले 9 सालों में 2 प्रिंसिपल ही करीब 2 साल का कार्यकाल पूरा कर सके। बाकि 5 प्रिंसिपल तो कई ऐसे है जो कुछ महीने ही पद पर रहे । अभी तक ज्यादातर प्रिंसिपल ऐसे आए जो रिटायरमेंट के करीब थे या एक्सटेंशन पर आए रिटायर होने के बाद।
मेडीकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि ऐसे में अक्सर बडे प्रशासनिक फैसले लेने में देरी हो जाती है। फाइलें अटकती रहती है वैसे यह तभी सत्य है कि अफसरों में रिटायर मेन्ट के करीब रिस्की फेक्टर नहीं रहता, समय निकलना होता है। मेडिकल कॉलेज भी इससे अछूता नहीं है ।
सरकार अगर मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन को सही तरीके से चलाने के लिये ऐसी सीनियर फैकल्टी को रेगुलर प्रिंसिपल तैनात करें जिसके पास 2-3 साल का सेवा काल भी बचा हो । अगर ऐसा होगा तो कॉलेज प्रबंधन चुस्त दुरुस्त रहेगा, सही समय पर फैसले होंगे। अटकी, लटकी फाइलें रफ्तार पकड़ेंगी औऱ कॉलेज स्टाफ भी चौकन्ना रहेगा ।