पोषण मेले में समझाया पारंपरिक व्यंजनों का महत्व
उन्होंने बताया कि पोषण माह के दौरान प्रतिदिन विषय तथा गतिविधि आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और इसी कड़ी में ‘पोषण मेले’ भी आयोजित किया गया है। उन्होंने बताया कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक एवं संतुलित आहार सबसे जरूरी है। हमारे स्थानीय पारंपरिक व्यंजन भी पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं। इन्हें हमें अपने दैनिक आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए। वृत्त पर्यवेक्षक ने कहा कि बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में अपने आहार में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दाल, सोयाबीन तथा मोटे अनाज के तौर पर ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का और आयरन युक्त आहार जिसमें विशेष तौर पर हरी पत्तेदार सब्जियां तथा मौसमी फल अपने आहार में शामिल करने चाहिए।
प्रदीप कुमार चौहान ने कहा कि गर्भ से लेकर 2 साल तक की आयु के 1000 दिन किसी भी बच्चे की जिंदगी के सुनहरे दिन होते हैं। इस दौरान गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा शिशुओं के खान-पान, स्वच्छता तथा स्वास्थ्य जांच पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। वृत्त पर्यवेक्षक ने विभागीय योजनाओं जैसे-मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, शगुन योजना, बेटी है अनमोल योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के बारे में में भी विस्तारपूर्वक बताया।
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय आंगनवाड़ी कर्मचारियों तथा आम महिलाओं ने हिमाचली पारंपरिक एवं पौष्टिक व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई। इसके अलावा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना’ के अंतर्गत दो बेटियों लक्षिता और लावण्या का जन्मोत्सव मनाया गया तथा केक भी काटा गया। नन्हीं बेटियों और उनके माताओं को बधाई संदेश देकर सम्मानित किया गया।