पुलिस जवानों की व्यथा:फ्री यात्रा नही करते फिर भी फ्री यात्रा टैग थोपा,राज्य सरकार के फैसले पर जताया रोष

पुलिस जवानों की व्यथा:फ्री यात्रा नही करते फिर भी फ्री यात्रा टैग थोपा,राज्य सरकार के फैसले पर जताया रोष

अक़्स न्यूज लाइन, नाहन -- 10अगस्त 

एचआरटीसी बसों में हाल ही राज्य के बिनैट के पुलिस जवानों क ी फ्र ी यात्रा में रोक लगाने मामले में जहां पुलिस जवानों में रोष है तो साथ साथ हताशा भी पनपी है। पुलिस विभाग के सुत्रों के अनुसार सरकारी बसों में  जवान फ्री में यात्रा नही करते लिए प्रत्येक पुलिस कर्मचारी हर माह 210 रुपये अपनी सैलरी से अदा करता रहा है। पैसे बचाने के नाम पर इस राशि को भी बंद कर दिया गया है। उधार सरकार ने पुलिस जवानों की डियूटी के दौरान एचआरटीसी बसों में फ्री यात्रा को बंद कर दिया है। पुलिस जवानों कहा कि माननीय मंत्री महोदय द्वारा पुलिस की फ्री यात्रा शब्द का प्रयोग किया जाना यह दर्शाता है कि उन्हें तथ्यों के बारे पूरी जानकारी नहीं है जिससे इस शब्द ने आम जन के बीच में पुलिस की छवि को ठेस पहुंचाई है व आमजन में यह धारणा बनी कि पुलिस मुफ़्त यात्रा करती है। जबकि तथ्य यह है कि पुलिस हर साल करीब 5 करोड़ रुपये यात्रा के बदले एचआरटीसी को दे रही है।

जबकि करीब 20 प्रतिशत पुलिस कर्मचारी ही ड्यूटी के मामले में सरकारी बसों में सफर करते हैं शेष 80 प्रतिशत पुलिस जवान ड्यूटी के दौरान पुलिस विभाग की गाडिय़ों या अपनी निज़ी गाडिय़ों ही दौड़ते है। पुलिस जवानों की यह सुविधा को बंद करके एचआरटीसी को कोई मुनाफ़ा होगा क्योंकि आज तक पुलिस कर्मचारी जहां भी डियूटी पर यात्रा करता है तो वह ज्यादातर अपने निज़ी वाहन का प्रयोग करता है और किसी प्रकार के यात्रा भत्ते का क्लेम नहीं करता। लेकिन यह सुविधा के बंद होने पर प्रत्येक कर्मचारी अपनी सरकारी यात्रा का क्लेम करेगा।  

जिससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा व एचआरटीसी को भी सालाना करोड़ो रुपयों का नुकसान होगा। यह भी सही है कि एचआरटीसी के घाटे की वजह एचआरटीसी  स्वयं व निगम की दयनीय हालत है वो हिमाचल पुलिस की वजह से नहीं है। मुख्यमंत्री से अपील करते हुए जवानों ने कहा कि जवानों की भी सुध लें  पुलिस को एक माह का अतिरिक्त वेतन जो पुराने पे स्केल से दिया जा रहा और जिसमें सालाना 30 से 35 हज़ार का नुकसान प्रत्येक कर्मचारी को हो रहा है उसे भी बंद करके पुलिस की ड्यूटी 24 घंटे से 8 घंटे करने का कष्ट करें तथा पुलिस को हर सार्वजनिक अवकाश को मनाने की छूट दी जाए।

सार्वजनिक अवकाश एक साल में करीब 90 दिन यानी 3 महीने बनता है। जब भी कोई त्यौहार या मेले आते हैं तो सभी कर्मचारी छुट्टियां लेकर अपने परिजनों के साथ उनका आनंद लेते हैं जबकि इन मौकों पर अक्सर पुलिस की छुट्टियां बंद कर दी जाती है। पूरे समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा से सेवा करने के बाद भी पुलिस के साथ सौतेला व्यवहार क्यों है।  

सभी विभागों का उचित ख्याल रखने के बाद सिर्फ  पुलिस विभाग की ही उपेक्षा क्यों।  2024 में 24 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी अतिरिक्त वेतन पुराने 2012 के स्केल से दिया जा रहा है। एचआरटीसी को प्रतिमाह करीब 40 लाख रुपये देने के बाद भी यात्रा को फ्री यात्रा का टैग पुलिस पर थोपा है यह जायज नही है। सभी विभागों में ड्यूटी 8 घंटे तो पुलिस की ही ड्यूटी 24 घंटे जैसे चंद सवाल पुलिस के मनोबल पर भारी पड़े है। पुलिस जवानों मुख्यमंत्री से अपील में कहा कि आखिर हम इतने मजबूर क्यों है। अगर हमारे शब्दों व उपलब्ध तथ्यों से कोई ठेस पहुंची हो तो क्षमा याचना.....