"नाचेया कुड़मणीये भलीये, मंडी नेडड़े की दूर" जिला मंडी के प्रधान लोक नृत्य "लुड्डी" के बोलों से आनंदित हुई .....राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु

"नाचेया कुड़मणीये भलीये, मंडी  नेडड़े की दूर" जिला मंडी के प्रधान लोक नृत्य "लुड्डी" के बोलों से आनंदित हुई .....राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु

  अक़्स न्यूज लाइन, शिमला -- 08 मई 
गत शाम  शिमला के  गेयटी थिएटर में राष्ट्रपति के सम्मान में राज्य सरकार द्वारा अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया इस उपलक्ष में हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग  द्वारा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें हिमाचल की सांस्कृतिक  झलकी के रूप में  प्रदेश के 80 चुनिंदा कलाकारों ने गेयटी थिएटर में प्रदेश के अनेक जिलों की लोक संस्कृति के विभिन्न रंग परोसते हुए मनमोहक प्रस्तुतियां दी। मंडी जिला का  प्रतिनिधित्व करते हुए मांडव्य कला मंच के 12 कलाकारों विपिन, हरीचरण, पंकज, अमित, आयुष, रमेश ,श्रेया, रजनी, परमजीत, गगनदीप, कृतिका और कुलदीप गुलेरिया ने  लोक नृत्य "लुड्डी" और हिमाचली फिनाले (झांकी ) में भाग लिया। 

इस कार्यक्रम से सभी कलाकार उत्साहित और रोमांचित है कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल हिमाचल प्रदेश द्वारा की गई। ज्ञात हो कि गत वर्ष लोक संस्कृति की दिशा में वेस्ट परफॉर्मर का किताब हासिल करने वाली संस्था मांडव्य कला मंच ने सात बार राष्ट्रीय युवा समारोह में, दो बार  राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव और तीन बार राष्ट्रीय लोकनाट्य उत्सव में भाग तथा चार बार नेशनल विंटर कार्निवल मनाली में सर्वश्रेष्ठ दल का खिताब  जीत कर अनेकों पुरस्कार प्राप्त कर 1988  से लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयासरत   लोक संस्कृति के विभिन्न पक्षों को लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रयत्नशील है।

मंच की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि 90 के दशक तक आते-आते लुप्त हो चुके मंडी जनपद के प्रधान लोक नृत्य "लुड्डी "को जीवित करना और देश भर में पहचान दिलाते हुए लगभग 3000 से ज्यादा प्रस्तुतियां दीं , इसके अतिरिक्त लोकनाच "बुढड़ा" तथा लोकनाट्य "बाँठ्ड़ा" आदि को बचाने और इन्हें संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाना। इसके अलावा "बरीणा" प्रथा पर आधारित नाटिका "बसोआ " जिस पर अब फिल्म भी बन चुकी है तथा "नारसिंह वीर की छाया" जैसी सत्य कथाओं को भी मंच पर लाने का काम किया है। मंडयाली (नागरीय) नृत्य और मंडयाली गीद्दा को पृथक पहचान दिलाना, यही नहीं 1998 में पहली बार
मंडी के मंडयाली गीतों का संग्रह कर पुस्तक का प्रकाशन कर मुक्त वितरण इसी तरह 2007 में निर्मित लोक गीतों की ऑडियो कैसेट "विरासत" का भी मुक्त वितरण।

 भारत पर्व 2024 में पहली बार भाग लेकर  दिल्ली के लाल किला में  प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत की झलकी प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया  तथा गत वर्ष 2023 में  इतिहास रचते हुए वंदे भारतम् कार्यक्रम में भी पहली बार में ही राज्य, अंतर्राज्य और फिर ज्वाहर लाल नेहरू स्टेडियम में ग्रैंड फिनाले जैसी बाधा को पार कर सभी मुकाबले जीतकर राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में कर्तव्य पथ पर हिमाचल का परचम लहराते हुए मंडी जनपद का गौरव बढ़ाया जबकि गत बर्ष G-20 सम्मेलन के अतिरिक्त कुल्लू दशहरा में प्रथम बार 15 देशों के कलाकारों के साथ सांस्कृतिक झांकी का प्रदर्शन कर मंडी की शान बढ़ाई है।