अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के PhD में आरक्षण को समाप्त करने के विरुद्ध VC के सामने उठाई आवाज- गौरव

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के PhD में आरक्षण को समाप्त करने के विरुद्ध VC के सामने उठाई आवाज- गौरव

अक्स न्यूज लाइन शिमला 5 अप्रैल : 

 अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल  प्रदेश विश्वविद्यालय  इकाई अध्यक्ष गौरव कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हमेशा मौजूदा समस्याओं के समाधान के लिए सुझावों के साथ साथ आम छात्रों की आवाज उठाने में सक्रिय भूमिका निभाता है। इसी के संदर्भ में आज विद्यार्थी परिषद ने वाणिज्य विभाग में PhD प्रवेश प्रक्रिया में हुई धांधली को लेकर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो सत प्रकाश बंसल को अवगत करवाया। यहाँ विद्यार्थी परिषद ने कुलपति को वाणिज्य विभाग में पीएचडी में हुई धांधली को लेकर वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष व अधिष्ठाता अध्ययन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा की मांग की।

विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई का कहना है कि विश्वविद्यालय अपने चाहितों को भरने की आड में पिछले लंबे समय से ऐसे कुकर्मों में सम्मिलित मिलता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय हमेशा से ही अवैध प्रवेश प्रक्रिया के मामलों में संलिप्त पाया जाता रहा है।

इकाई अध्यक्ष गौरव कुमार ने कहा कि लंबे समय से देखने को मिल रहा है की विश्वविद्यालय में (एमबीए आरडी) की पीएचडी में अवैध प्रवेश और वर्तमान समय में देखे तो वाणिज्य विभाग में अवैध प्रवेश के लिए प्रशासन के  निरंतर प्रयास जारी हैं उन्होंने कहा की प्रशासन द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों की सीट को जनरल सीट में बदलने का काम किया  प्रश्न यह है की विभाग ने बिना किसी विज्ञापन के ही सीट को कैंसल कर के जनरल में बदला प्रशासन द्वारा आरक्षण को भी समाप्त करने का प्रयास किया । प्रशासन यह सब कुछ किसी के दबाव में आ कर ऐसा कर रहा है। विद्यार्थी परिषद ने वाणिज्य विभागाध्यक्ष व अधिष्ठाता अध्ययन से अपने अपने पद से त्यागपत्र देने की मांग रखी।

*क्या है मामला?*

अपनी बात रखते हुए गौरव ने बताया की पिछले दिनों वाणिज्य विभाग मे पीएचडी की सीटों के लिए आवेदन का विज्ञापन निकाला जिसमे की 3 सीट सामान्य छात्र वर्ग , 1 अनुसूचित जाति, तो 1 सीट दिव्यांग और केवल 1 सीट एसटी वर्ग के छात्रों के लिए निकाली गयी लेकिन जब एसटी से कोई आवेदन नहीं आता है तो एसटी की सीट को जनरल मे बदला गया।
एसटी की सीट को में बदलने का प्रावधान न तो यूनिवर्सिटी के ऑर्डिनेंस में है और न ही यूजीसी की गाइडलाइन में दिया हुआ है,उसके बावजूद भी वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष ने अधिष्ठता अध्ययन के साथ मिल कर के अनुसूचित जनजाति के आरक्षित स्थान को  सामान्य छात्रों की सूची मे जोड़ कर अनुसूचित जनजाति से सम्बन्ध रखने वाले छात्रों के हक को हड़पने का काम किया है।


ईकाई अध्यक्ष गौरव कुमार ने विभाग के ऐसे कामों की निंदा करते हुए कहा की यदि आने वाले समय में विभाग इस प्रवेश को कैंसिल नहीं करता और अधिष्ठाता अध्ययन और वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष ने अपने अपने पद से  जल्द से जल्द इस्तीफा नहीं दिया तो अभाविप आने वाले समय में उग्र से उग्र आंदोलन करने में किसी प्रकार का परहेज नही करेगी।


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्वविद्यालय इकाई शिमला विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि वाणिज्य विभाग में अवैध तरीके से प्रवेश की प्रक्रिया को रोकने के लिए शीघ्र से अमल में लाई जाए तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को प्रवेश के लिए विज्ञापन जारी किया जाए।