भाषा एवं संस्कृति विभाग के कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां

जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए कवियों ने अपनी रचनाएं पेश करके खूब वाहवाही लूटी। युवा शायर कार्तिक ने ‘माटी के माधव से आऊंगा समझदारों में एक दिन, रंग जो मेरे कुम्हार का एहसास लेगा’ गज़ल पेश की। अशोक सोनी ने रंग बरसे, रंग बरसे, भीगे गगरिया रंग बरसे, डॉ. पिंकी शर्मा ने पापा की परी और रजनी बाला ने पुलवामा शहीदों को अपनी कविता में याद किया।
युवा कवयित्री दिनाक्षी शर्मा की रचना ‘वीरों के वचन’, राकेश ठाकुर की कविता ‘मां से जुदाई’ और सुशील गौतम की ‘मैं कविता ढूंढ रही हूं’ को भी खूब सराहा गया। ज्योति प्रकाश ने ‘तुम यूं न पास से गुजर जाया करो’ और रतन चंद रत्नाकर ने ‘वही विध्वंस बहुत हो चुका है’ और पहाड़ी कवि मास्टर दिलीप सिंह ने ‘आज चिल्लू बड्ढना कि रवैरू’ कविता पेश करके खूब समां बांधा।
इससे पहले, जिला भाषा अधिकारी संतोष पटियाल ने सभी कवियों का स्वागत किया तथा कवि सम्मेलन में सहभागिता के लिए सबका धन्यवाद किया।