कुत्ते या अन्य जानवर के काटने पर तुरंत करवाएं इलाज

उन्होंने बताया कि दुनिया में आज भी कई हजारों मौतें जानवरों, कुत्तों के काटने से हुए रेबीज संक्रमण से होती है। संक्रमित कुत्तों, जानवरों के काटने से विषाणु संक्रमण जानलेवा होता है, लेकिन समय पर पर सही इलाज किया जाये तो इससे बचाव हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई जानवर काटता है तो सबसे पहले हमें साबुन पानी से घाव को कम से कम 15 मिनट धोयें। एंटीसेप्टिक इथनोल वीटाडीन से अच्छी तरह साफ करें घाव को बांधे नहीं खुला रखें। इसके बाद तुरंत अस्पताल जाएं।
यदि जख्म गहरा है, खून निकला है, संक्रमित जानवर ने मुंह से चाटा है तो इम्यूनोगलोबिन जरूर लगवाएं। यदि जानवर ने नाखून मारा है या किसी पुराने घाव पर कुत्ते की लार गिर गई है या संक्रमित जानवर का कच्चा दूध पिया है तो भी टीके लगवाएं।
बीरबल वर्मा ने बताया कि रेबीज से पीड़ित कुत्ते का शरीर तना हुआ होता है, पूंछ कड़क होती है और उसके फर उभरे हुए होते हैं। उसकी आवाज में अजीब सी गुर्राहट और उग्र होती है। वह पानी से डरता है और उसका व्यवहार बदल जाता है। वह 10 -12 दिन में मर जाता है।
उन्होंने कहा कि पालतू जानवर को घर लाने से पहले उसे रेबीज रोधी टीका लगवाना चाहिए। इसके बाद 3 महीने की उम्र पर टीका लगवाएं। हर साल टीकाकरण करवाएं। अगर पालतू जानवर को अन्य कुत्ते आदि ने काटा हो तो सही इलाज करवाएं और काटने वाले जानवर पर 10 दिन नजर रखें। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग कुत्ता या बंदर काटने पर घरेलू उपचार करने लग जाते हैं। इससे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है और मौत भी हो सकती हैै। इस मौके पर प्रधानाचार्य अतुल शर्मा ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्वास्थ्य विभाग का धन्यवाद किया।