सोलन में आपदा प्रबंधन, पोषण अभियान, बागवानी, महिला सशक्तिकरण पर वार्तालाप का आयोजन

वार्तालाप का शुभारंभ सोलन के उपायुक्त श्री मनमोहन शर्मा ने किया। मीडिया को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि आपदा प्रबंधन एक ऐसा क्षेत्र है, जो मीडिया के समाचारों में सनसनीखेज होने के कारण अनावश्यक रूप से प्रभावित हो सकता है।
सोलन मीडिया की परिपक्व और संतुलित भूमिका की सराहना करते हुए उपायुक्त ने कहा कि मीडिया को लोगों को यह आश्वासन देने में भी योगदान देना चाहिए कि सरकार सक्रिय है तथा आपदा के समय कार्रवाई कर रही है। उपायुक्त ने बताया कि मीडिया के कारण ही बड़ी से बड़ी आपदा से निपटने और उसके प्रबंधन में मदद मिलती है। स्वच्छता अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस अभियान की सफलता में मीडिया ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उपायुक्त ने कहा कि मीडिया की प्राथमिक भूमिका सरकार से जवाबदेही लेना और अनसुनी आवाजों को प्रशासन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आने से मीडिया की भूमिका कुछ हद तक बदली है इसलिए अब मीडिया को ज्यादा जिम्मेदार होने की जरूरत है।
सोलन जिला के एडीसी श्री राहुल जैन ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के लागू होने के बाद हिमाचल में कई आपदाएं आई हैं लेकिन जानमाल के नुकसान में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रतिक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रभावित समुदाय की होती है। प्रतिक्रिया के अलावा, मीडिया सामुदायिक जागरूकता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्री जैन ने बताया कि आपदा से निपटने के लिए स्कूलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा युवा स्वयंसेवकों की 2000 टास्क फोर्स को प्रशिक्षित किया गया है इसके अलावा 200 आपदा मित्रों को भी प्रशिक्षित किया गया है। जिला प्रशासन ने 520 राजमिस्त्रियों को भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित इमारतों के निर्माण के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। प्रशासन ने स्कूलों में सुरक्षित निर्माण मॉडल पर कार्यक्रम भी आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि आपदा से पहले और आपदा के बाद मीडिया की अहम भूमिका होती है मीडिया के सकारात्मक भूमिका से दीर्घकालिक आपदा जोखिमों को कम किया जा सकता है जिससे जान-माल के नुकसान से बचा जा सकता है
इस अवसर पर सोलन बागवानी विभाग की उप निदेशक डॉ शिफाली ठाकुर ने बताया कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत जिले में विभिन्न फलों सब्जियों और फूलों की किस्मों को आजमाया जा रहा है ताकि सेब पर निर्भरता कम की जा सके। इसके अलावा पॉली हाउस और ग्रीन हाउस के माध्यम से संरक्षित खेती एवं जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है एवं मशीनीकरण और सप्लाई चेन भी विकसित की जा रही है। उन्होने बताया कि बागवानी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बागवानी बेहतर पोषण को बढ़ावा देती है, वैकल्पिक ग्रामीण रोज़गार प्रदान करती है, कृषि में विविधीकरण को प्रोत्साहित करती है और किसानों की आय बढ़ाती है। इस मिशन के कारण सोलन में फलों और सब्जियों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
शूलिनी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ निशा कपूर ने बताया कि स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक ऐतिहासिक पहल है जिसका उद्देश्य पहुंच, गुणवत्ता देखभाल और जागरूकता में सुधार पर ध्यान देने के साथ देश में महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि मीडिया की भागीदारी से इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है।
सोलन के महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यक्रम अधिकारी श्री पदम देव शर्मा ने बताया कि पोषण अभियान, एक ऐसा मिशन है, जिसके उदेश्य छह साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करते हुए, तकनीक-संचालित, समुदाय-केंद्रित विचारधारा के ज़रिए कुपोषण की समस्या का समाधान करना है। उन्होंने कहा कि हर साल सितंबर में मनाए जाने वाले पोषण माह जैसे अभियानों के ज़रिए, पहले 1,000 दिनों में, बच्चों में बौनेपन, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन की समस्याओं को दूर किया जाता है।
इससे पहले, पीआईबी शिमला के सहायक निदेशक ने वार्तालाप के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वार्तालाप जन कल्याण योजनाओं को मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का सार्थक प्रयास है. इस मौके पर पीआईबी चंडीगढ़ के मीडिया एवं संचार अधिकारी अहमद खान ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न विभागों एवं इकाइयों के कामकाज पर प्रस्तुतिकरण दिया। श्री खान ने कार्यक्रम का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यशाला में सोलन जिला की सहायक कमिश्नर नीरजा शर्मा भी मौजूद थी। वहीं सोलन जिला के पत्रकारों एवं शूलिनी विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सक्रियता से भाग लिया।