पौष्टिक व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाकर बताया पोषण का महत्व

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने लोगों को पारंपरिक व्यंजनों तथा स्थानीय मौसमी फल-सब्जियों का अधिक से अधिक प्रयोग करने, जंक फूड से दूर रहने तथा नमक, चीनी, तेल और मैदे का कम से कम उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने गर्भावस्था से लेकर बच्चे की 2 साल की आयु तक के सुनहरे एक हजार दिनों के दौरान समुचित पोषण, खान-पान तथा तिरंगा भोजन ग्रहण करने, जन्म के पहले 6 महीने में बच्चे को केवल और केवल मां का दूध ही देने तथा 6 माह की आयु पूरी करने के बाद बच्चों को मां के दूध के साथ-साथ दिन में कम से कम पांच बार पूरक आहार देने के बारे में जागरूक किया।
बाल विकास परियोजना अधिकारी सुनीता शर्मा ने संतुलित आहार लेने और महिलाओं को विशेष कर आयरन युक्त चीज जैसे-चुकंदर, अनार, खट्टे मौसमी फल, आंवला, हरी पत्तेदार सब्जियां, अरबी के पत्ते, चौलाई का साग इत्यादि का अधिक से अधिक सेवन करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने टेफलॉन बर्तनों के स्थान पर लोहे की कड़ाही का उपयोग करने के बारे में भी जानकारी दी।
इस अवसर पर वृत्त पर्यवेक्षक तिलकराज, जिला पोषण समन्वयक साहिल परिहार और खंड पोषण समन्वयक रीता कुमारी ने भी संबंधित विषय पर जानकारी दी। कार्यक्रम में स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुनीता देवी, सुमन कुमारी, पूनम कुमारी, सुषमा देवी, अनिता कुमारी और निर्मला, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, गर्भवती व धात्री माताएं और अन्य ग्रामवासी भी उपस्थित थे।