हिमाचल की एनपीए की मैचिंग ग्रांट बंद......... केंद्र सरकार ने 5500 करोड़ घटाई लोन सीमा.....हिमाचल सरकार को केंद्र का झटका .....
अक्स न्यूज लाइन ..शिमला, 30 मई - 2023
हिमाचल सरकार को केंद्र की मोदी सरकार ने जोर का झटका दिया है। केंद्र ने सत्ता परिवर्तन के 6 महीने के भीतर ही हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया है। बीते साल जब राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। हिमाचल में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने लोन लेने की सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की है। यानी 2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपए का ही कर्ज ले पाएगी।
इससे 76 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कर्ज में डूब चुकी हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत बिगड़ना तय है। इसे लेकर कैग भी हिमाचल को पहले ही चेता चुका है। राज्य की लोन लेने की सीमा की शर्त नहीं हटाई गई तो आने वाले कुछ महीनों बाद कर्मचारियों व पेंशनर को सैलरी और पेंशन का भुगतान तक करना चुनौती भरा हो जाएगा, क्योंकि राज्य के पास अपनी आय के सीमित साधन हैं। वहीं, केंद्र सरकार एक के बाद एक झटके दे रही है। हिमाचल सरकार को 2020 तक जीएसपी का तीन फीसदी लोन लेने की छूट दी। कोरोना काल में मई 2020 में इसे बढ़ाकर 5 फीसदी किया गया। अब केंद्र ने इस छूट को खत्म कर दिया है। इस निर्णय को राज्य में ओल्ड पेंशन बहाल ( ओपीएस ) बहाल करने की सजा के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार बार-बार कह रही थी कि OPS को बहाल नहीं किया जाए।
यह राज्य के हित में नहीं है। एनपीए के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए एनपीए के तौर पर पीएफआरडीए के पास जमा कराता था, लेकिन इस साल अप्रैल से हिमाचल में ओपीएस बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से एनपीए में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर पीएफआरडीए के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। इससे लगभग 1700 करोड़ के लोन का नुकसान हिमाचल को हुआ है। जीएसटी प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर मिलने वाले 3500 करोड़ से ज्यादा का बजट भी जून 2022 से बंद है। इसके विपरीत कांग्रेस ने जनता से ऐसे वादे कर रखे हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए कांग्रेस को करोड़ों रुपए अतिरिक्त की जरूरत होगी, ताकि एनपीएस कर्मचारियों को ओपीएस दी जा सके। महिलाओं को 1500 रुपए, किसानों का दूध 80 व 100 रुपए में खरीदा जा सके।
राज्य के नए चीफ जस्टिस के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू दोपहर बाद दिल्ली रवाना हो गए। कुछ देर बाद उनकी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मीटिंग तय है। इसमें राज्य की लोन की सीमा की शर्त हटाने, एनपीए की मैचिंग ग्रांट और जीएसटी प्रतिपूर्ति राशि बहाल करने की मांग रखी जाएगी। उन्होंने लोन की लिमिट कम करने और मैचिंग ग्रांट रोकने के दुर्भाग्यपूर्ण बताया। गौर हो कि राज्य में 2022-23 के दौरान वेतन, पेंशन, ब्याज अदायगी, सामाजिक सुरक्षा, उपदान पर 2444 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 3572 करोड़ रुपए हो जाएगा, यानी 3 साल बाद इसमें 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी होगी। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों व पेंशनर की देनदारी बकाया है। वेतन और पेंशन के बढ़ते खर्च की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था दबाव में है। वेतन अदायगी पर बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 1125 करोड़ रुपए खर्च हो रहा था। 2022-23 में यह बढ़कर 1329 करोड़ रुपए हो गया। वर्ष 2025-26 में इसके 1675 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। पेंशन अदायगी पर बीते वित्त वर्ष 6500 करोड़ खर्च हो रहा था।
वर्ष 2022-23 में यह 7,790 करोड़ होगा, जबकि 3 साल बाद बढ़कर 10,088 करोड़ रुपए हो जाएगा। सामाजिक सुरक्षा पर अभी 999 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। वर्ष 2025-26 में इसके 1190 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। पुराने कर्ज के ब्याज की अदायगी की वजह से राज्य की आर्थिक सेहत ज्यादा तेजी से बिगड़ रही है। राज्य में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 5,104 करोड़ रुपए पुराने कर्ज की ब्याज की अदायगी के चुकाने पड़ रहे हैं, जबकि 3 साल बाद यह 6,200 करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा। पेंशन, वेतन, ब्याज अदायगी, उपदान पर 55% से अधिक खर्च हो रहा है। इससे विकास कार्य के लिए बहुत कम बजट रह पा रहा है। राज्य पर अभी लगभग 10 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे पहले ही हिमाचल पर 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो गया है। 31 मार्च तक इसके 74 हजार करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है।