साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा-जिला बिलासपुर नहीं रहा अछूता, जागरूक होना आवश्यक

उन्होंने बताया कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम जैसे मामलों में भी ठगी का नया तरीका सामने आया है। अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंसी का प्रतिनिधि बताकर वीडियो कॉल करते हैं और पृष्ठभूमि इस तरह दिखाते हैं मानो व्यक्ति किसी थाने या सरकारी दफ्तर से बात कर रहा हो। इसके बाद लोगों को डराकर धन वसूली की जाती है। बिलासपुर में हाल ही में सामने आए एक मामले में 20 लाख रुपए से अधिक की ठगी की जांच चल रही है।
ब्रांड इम्परसनेशन और नकली मोबाइल एप्स जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अपराधी नामी कंपनियों की वेबसाइट या मोबाइल एप की हूबहू कॉपी तैयार कर लेते हैं और ग्राहकों को झांसे में लेकर पैसा ट्रांसफर करने पर मजबूर कर देते हैं। बैंकिंग ऐप्स और ई-वॉलेट के नाम पर बनाए गए नकली एप्स भी लोगों की निजी जानकारी और पासवर्ड चुराने का जरिया बन रहे हैं।
जिला में ऑनलाइन निवेश घोटाले भी लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। व्हाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप्स पर “तेजी से पैसा दोगुना” करने का झांसा देकर लोगों से मोटी रकम ठगी जा रही है। हाल ही में जिला में पोंजी स्कीम का एक मामला सामने आया, जिसमें 15 से 20 लोग निवेश कर धोखाधड़ी का शिकार हो गए। इसके अलावा, सस्ते ब्याज दर का लालच देकर चल रहे लोन एप्स भी लोगों की कमाई हड़पने का जरिया बन रहे हैं। पुलिस अधीक्षक ने साफ कहा है कि लोन केवल आरबीआई से अधिकृत बैंक और वित्तीय संस्थानों से ही लेना चाहिए।
फिशिंग और एपीके लिंक से जुड़े मामलों में अपराधी ट्रैफिक चालान, बिजली बिल या केवाईसी अपडेट के बहाने व्हाट्सएप और एसएमएस पर नकली लिंक भेजते हैं। जैसे PM KISAN.apk, SBI Yono UPDATE.apk, RTO.apk, customercare.apk, RTO Challan.apk, Vahanchalan.apk, Invitationcard.apk, SBIcard.apk इत्यादि। इन लिंक पर क्लिक करते ही फोन क्लोन हो जाता है और अपराधियों को मोबाइल का पूरा नियंत्रण मिल जाता है।
उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग ऑनलाइन बैंक की सुविधा के लिए इंटरनेट के माध्यम से अपना डाटा भरते हैं और जाने-अनजाने में बिना साइट को वेरीफाई किए अपना पर्सनल डाटा अपलोड कर देते हैं, जिसके कारण भी लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन बैंकिंग के लिए सीधे संबंधित बैंक शाखा से ही संपर्क करें।
तकनीक के दुरुपयोग का एक और उदाहरण डीपफेक है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार नकली वीडियो और ऑडियो अब धोखाधड़ी के नए हथियार बन गए हैं। वहीं कई लोग अनजाने में अपने नाम पर जारी बैंक अकाउंट या सिम कार्ड दूसरों को दे देते हैं, जिससे अपराधियों को रास्ता मिल जाता है। पुलिस अधीक्षक ने चेतावनी दी है कि यह भी एक किस्म का अपराध है और निर्दोष व्यक्ति भी इसके कारण कानूनी कार्रवाई में फंस सकता है।
लोगों से अपील
पुलिस अधीक्षक संदीप धवल ने कहा कि साइबर अपराध से बचाव केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक की सतर्कता अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने अपील की कि कोई भी व्यक्ति अपना एटीएम पिन, ओटीपी, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड या संवेदनशील जानकारी किसी भी कॉलर को न बताए। संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और किसी भी तरह का ऐप केवल आधिकारिक वेबसाइट या गूगल प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें।
उन्होंने कहा कि यदि कोई संदिग्ध मैसेज, व्हाट्सएप लिंक या वीडियो कॉल प्राप्त हो, तो तुरंत परिवार या पुलिस को सूचित करें। किसी भी वित्तीय धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें, क्योंकि समय रहते दी गई सूचना से खाते से निकली रकम वापस पाने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, जिला बिलासपुर के नजदीकी थाने में स्थापित साइबर क्राइम हेल्प डेस्क या बिलासपुर साइबर सेल से भी संपर्क किया जा सकता है।