शोभा यात्रा के साथ आरंभ हुआ देवी साहिबा धरेच का आठ दिवसीय मेला
सबसे अहम बात यह है कि इस मेले में देवी दर्शन ही आकषर्ण का केंद्र होते हैं इसके अलावा मेले में कोई अन्य गतिविधियां नहीं होती । इस मेले में विशेषकर लोग अपने छोटे बच्चों के मुंडन करवाने आते हैं । शिवराम शर्मा के अनुसार जैईश्वरी नगरकोटी माता बहुत प्रत्यक्ष देवी है और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है । विशेषकर निःसंतान दंपतियों की सूनी गोद देवी निश्चित रूप से भर देती है । उन्होने बताया कि अतीत में इस मंदिर में बलि प्रथा हुआ करती थी जिसे काफी वर्षों पहले मंदिर कमेटी द्वारा बंद कर दिया गया है । इस दौरान सबसे बड़ा मेला दशहरा के दूसरे दिन एकादशी को लगता है । जिसमें माता के दर्शनों के लिए जन सैलाब उमड़ता है । इस मंदिर में चावल के दाने प्रसाद रूप में दिए जाते हैंे जिसे लोग अपने घरों में सहेज कर रखते हैं ताकि किसी नाकारात्मक शक्ति का घर में प्रवेश न हो । वजीर ने बताया कि मेले के सुनियोजित ढंग से मनाने बारे स्थानीय स्तर पर सभी प्रबंध किए गए है ।