सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश के आह्वान पर किये गए विशाल प्रदर्शन

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश के आह्वान पर किये गए विशाल प्रदर्शन
अक्स न्यूज लाइन नाहन 18 जुलाई : 
सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश के आह्वान पर केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ व मजदूरों व योजना कर्मियों की मांगों को लेकर जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर विशाल प्रदर्शन किए गए। प्रदेशभर में हुए प्रदर्शनों में हज़ारों मजदूरों व योजना कर्मियों ने भाग लिया। शिमला के डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, जगत राम, बालक राम, हिमी देवी, खिमी भंडारी, सेठ चंद, चमन ठाकुर, दलीप, पंकज, पूर्ण चंद, विक्रम, सतपाल बिरसांटा, प्रकाश, विरेन्द्र, नोख राम, निशा, बबलू, भूमि, प्रवीण, जसवंत, ओमप्रकाश, हेमराज, जगत राणा, अतर, राकेश, प्रेम, संदीप, अनुज, सुनील नेंटा, रंजीव कुठियाला, विवेक कश्यप, रामप्रकाश, लता, मोहिनी, अमरा, इशरा, रीना, ममता, उषा, गंगेश्वरी, कला, सत्या, सुलोचना, सुनीता व जानकी आदि शामिल रहे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को खत्म करने, आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों की वेतन वृद्धि व हर महीने समयबद्ध वेतन भुगतान, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, अग्निवीर, आयुद्धवीर, कोयलावीर व अन्य फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील कर्मियों को नियमित करने, उन्हें न्यूनतम वेतन देने व उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, सेल्ज प्रमोशन एम्प्लॉयीज के दायरे में श्रम कानून लागू करने, उनके कार्य के लिए वैधानिक नियम लागू करने, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की अस्पतालों में निर्बाध एंट्री सुनिश्चित करने, एसपीई एक्ट को निरस्त करने की अधिसूचना रद्द करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 घण्टे करने के खिलाफ, आईटी, आईटीईएस उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर सीटू राज्य कमेटी द्वारा प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए गए।
उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों से मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश हुआ है।