खास खबर.... प्राईमरी शिक्षक रखे जाने के लिए,आउट सोर्स पॉलिसी धोखा,सरकार की मंशा पर सवाल..
अक़्स न्यूज लाइन, नाहन --04 जुलाई
अरूण साथी
बेरोजगारों के लिए सरकार की आउट सोर्स पॉलिसी सरासर धोखा है। चुनाव से पहले पक्की सरकारी नौकरी देने के नाम पर युवाओं का वोट झटक कर सत्ता में आई कांगेस सरकार ने सूबे के लाखों बेरोजगारों की फ़ौज के सामने आपने पत्ते खोल कर रख दिये हैं। हाल ही सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के 6,297 पदों को भरने के लिए जो अधिसूचना जारी की है उससे सरकार की पक्की नौकरी देने की मन्शा पर सवालिया निशान लगा है।
ऐसे में सालों से नौकरी की बाट जोह रहे युवाओं के साथ धोखा तो है ही साथ साथ यह फैसला युवाओं के भविष्य के सपनों पर पानी फे रने वाला भी है। यह भी गौर करने लायक है कि आउट सोर्स के जरिए उनके हाथ में कितना मानदेय आयेगा। मिली जानकारी के अनुसार आऊट सोर्स शिक्षक के लिए 10 हजार रुपये मानदेय किया गया है।
इस मानदेय में एजेंसी चार्जेज,जीएसटी, अन्य खर्च शामिल है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन वर्तमान में 5 फीसदी एजेंसी चार्ज लेता है। इस मानदेय में 10 फीसदी रकम ईपीएफ के खाते मेजानी है। यही नही आउटसोर्स भर्ती पर 18 प्रतिशत जीएसटी पहले ही थोपा हुआ है। ऐसे शिक्षकों के खाते में हर महिने करीब 7000हजार रूपये आएगा।
जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के भर्ती के मामले में शीर्ष अदालत के निर्देश पूर्व में रहे है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती नियमित होगी। लेकिन प्राइमरी स्कूलों में की जाने वाली भर्ती की अधिसूचना को देख कर तो नही लगता कि सरकार इन स्कूलों में नियमित शिक्षक रखेगी।
ऐसे में इन स्कुलों में नौनिहालों को मिलने वाली गुणात्मक शिक्षा सरकारी दावों की पोल भी खुली है। बेरोजगारों का कहना है कि 10,000 मानदेय में टैक्स व अन्य शुल्क काट कर जो करीब 7000 रुपये मिलगें वो तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान होगें। यानी 250 रुपये से भी कम रोजाना दिहाड़ी। सरकार को चाहिए कि शिक्षक के पद की गरिमा का खयाल रखें और सम्मान जनक राशि देने पर विचार करे।