मॉक ड्रिल: अलर्ट मिलते ही आपदा से बचाव को मुस्तैद हुआ प्रशासन, धर्मशाला के चेतडू में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने मॉक ड्रिल के पश्चात प्रेस वार्ता में कहा कि ने इस मॉक ड्रिल का मकसद आपदा के समय में जिला प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना और मानक संचालन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना था। इसमें प्रतिक्रिया में लगने वाले समय, समन्वय में गैप समेत अन्य कमियों को जांचा गया, साथ ही फील्ड में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं की पहचान की गई। इससे प्राप्त सीख और अनुभव के आधार पर आगे सुधारात्मक कदम उठा कर आपदा प्रबंधन योजना को और कारगर बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि बरसात का मौसम आने को है और इसमें सम्भावित भारी बारिश, बाढ़, बादल फटना, भूस्खलन और नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी से आपदा की स्थिति बनती है। ऐसे में जन सुरक्षा तय बनाने और आपदा से होने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए अधिकारियों को आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अपने दायित्वों की जानकारी, विभागों की आवश्यक पूर्व तैयारी और मुस्तैदी बहुत आवश्यक है। इसमें यह माॅक ड्रिल बहुत सहायक रही। अधिकारियों की आपदा प्रबंधन को लेकर क्षमता विकास में भी यह अभ्यास मददगार है।
आपदा प्रबंधन के हर पहलू पर गौर:
इस पूरे घटनाक्रम में आपदा प्रबंधन योजना, रेस्क्यू आॅपरेशन, आपात संचार प्रणाली, विभागीय तालमेल, आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल, संसाधन मैपिंग, रास्ते बहाल करने को मशीनरी का प्रयोग, स्वास्थ्य व्यवस्था, घायलों को मौके पर मेडिकल सहायता देने, एंबुलेंस से घायलों को अस्पताल ले जाने, प्रभावितों को राहत शिविरों में पहुंचाने, राशन एवं पेयजल वितरण व्यवस्था देखने, स्थानीय स्तर पर जन सहयोग समेत स्थिति को सामान्य बनाने से जुड़े आपदा प्रबंधन के हर पहलू पर गौर करने के साथ सभी उपायों को परखा गया। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि कांगड़ा जिला के सभी उपमंडलों में भी बाढ़ तथा भूस्खलन को लेकर मॉक ड्रिल आयोजित की गई है।