ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए बनेगा प्लान: डीसी

उन्होंने बताया कि मिशन का उद्देश्य जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका को फिर से सशक्त बनाना है ताकि वे जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण तथा संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन 2025 की थीम के अनुरूप प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।उन्होंने बताया कि यह जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन के जिला इंटरेजेंसी ग्रुप के माध्यम से की जाएगी । उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के परामर्श से जन जैव विविधता रजिस्टर (पीबीआर) तैयार किया जाएगा तथा स्थानीय जैविक संसाधनों की उपलब्धता, उपयोग और उनसे जुड़े पारंपरिक ज्ञान के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी ताकि ग्रामीण स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्लान तैयार किया जा सके।
इस पहल के अंतर्गत आज डीआरडीए हॉल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें एनजीओ, नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय संस्थाओं की जैव विविधता संरक्षण में भूमिका पर चर्चा की गई। सम्मेलन में वक्ताओं ने सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करने, स्थानीय पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण पर बल दिया।
इससे पहले कन्वीनर , जिला इंटरएजेंसी ग्रुप हरजीत भूलर ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए जैव विविधता प्रबंधन समितियां की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर परियोजना अधिकारी प्रोजेक्ट डीआरडीए चंद्रबीर सिंह , डॉक्टर अंजन कालिया , डॉक्टर अशोक कुमार सोमल , एस एस बेनस, अनीता कुमारी शर्मा , सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी , एनजीओ व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।