प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता गुणवत्तायुक्त दवा उत्पादन

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एशिया में दवा उत्पादन का हब है और प्रदेश सरकार दवा उत्पादन के क्षेत्र में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता बनाएं रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कण्डाघाट स्थित कम्पोज़िट टैस्टिंग लैब के साथ-साथ अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एक अन्य प्रयोगशाला भी क्रियाशील है। उन्होंने कहा कि नियमित परीक्षण का उद्देश्य मानक से कम गुणवत्ता वाली दवाओं की पहचान करना है।
डॉ. मनीष कपूर ने कहा कि केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के सहयोग से लोगों को कम गुणवत्ता के दवाओं के विषय में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उत्पादित की जा रही दवाओं की गुणवत्ता के विषय में आधारहीन जानकारी लोगों तक पहुंचने से न केवल प्रदेश की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है अपितु लोगों तक यह भ्रामक सूचना भी पहुंचती है कि हिमाचल में दवाओं के उत्पाद में गुणवत्ता की कमी है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह नहीं है। प्रदेश से बाहर उत्पादित की जा रही स्तरहीन मानक की दवाओं के मामले सामने आए हैं। गत एक वर्ष में ऐसे 20 मामले उजागर हुए हैं। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और पंजाब में पकड़ी गई ऐसी दवाओं से यह सामने आया है कि आरोपियों ने इन राज्यों में दवा का उत्पादन कर उन पर हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योग का झूठा लेबल लगाया जबकि हिमाचल प्रदेश में इस तरह के नाम की कोई दवा निर्माता कम्पनी पाई ही नहीं गई। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाने के षडयंत्र से इनकार नहीं किया जा सकता।
वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन एवं केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से 90 निरीक्षण कर ऐसे 45 दवा निर्माताओं के विरुद्ध कार्रवाई की गई जो नियमों एवं लाइसेंस की शर्तों की अनुपालना नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त निरीक्षण के साथ-साथ राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन ने 23 ऐसी दवा निर्माता इकाइयों के विरुद्ध कार्रवाई की जो नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
डॉ. कपूर ने कहा कि प्रदेश सरकार नियमित रूप से दवा उत्पादन में बेहतरी के लिए कार्यरत है।