काली स्थान शक्ति पीठ.......जहां काली मां साक्षात विराजमान है .. -रियासत काल में स्थापना पिंडी स्वरूप मां की यहां की थी ......
अरूण साथी.......
काली स्थान शक्ति पीठ जहां काली मां साक्षात विराजमान है। रियासत काल में राजा विजय प्रकाश के शासन में काली स्थान शक्ति पीठ की स्थापना हुई थी । कहते है कि राजा विवाह गढवाल के कमांयू में हुआ । कमांयू वाली रानी मां काली की अन्नय भक्त थी दिन रात घंटों मां की आराधना में लीन रहती थी ।
विवाह के बाद रानी अपने साथ मां काली की प्रतिमा भी लाई थी। बताते है राजमहल में भी मां काली का असर रानी पर राज परिवार के सदस्यों ने अक्सर देखा। राजमहल में रानी के भीतर मां काली ने अपना रूप क ई बार दिखाया जिसके बाद राजपरिवार ने मां काली की पिंडी स्वरूप स्थापना के अपने पुरोहितों व राजगुरू से मंत्राणा की। आज जहां भव्य काली स्थान शक्ति पीठ है उस स्थल पर एक छोटा सा मंदिर बनवाकर , मां काली की पिंडी के स्वरूप में स्थपित किया ।
आज जहां यह शक्ति पीठ है ओर शहर आबाद हो चुका है। लेकिन रियासत काल में इस मंदिर के आस पास घना जंगल था ओर शहर के लोग पूजा अर्चना के लिए अके ले न जाकर गु्रपस में जाते थे क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का अंदेशा रहता था । रियासत काल में समय समय पर मंदिर का र्जीणोद्वार हुआ अस्सी के दशक में स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से मंदिर का कायाकल्प किया । इस शक्ति पीठ में काली मां साक्षात विराजमान है भक्तों की मुरादें ,शीश झुकाते ही क्षण भर में पुरी होती