जिला स्तरीय समिति ने की एससी-एसटी से अत्याचार के मामलों की समीक्षा
उपायुक्त ने बताया कि अभी इन 84 मामलों में से 41 मामले विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन हैं। जबकि, 9 मामलों की अभी पुलिस जांच चल रही है। 19 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स न्यायालयों में विचाराधीन हैं और 14 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की गई हैं। एक मामले में आरोपी को अदालत से सजा भी हो गई है।
उन्होंने पुलिस और अभियोजन विभाग के अधिकारियों से इन सभी मामलों की ताजा स्थिति की जानकारी ली और कहा कि इन मामलों की जांच एवं अभियोजन प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए तथा सभी लंबित मामलों का नियमित रूप से फॉलोअप किया जाना चाहिए। अमरजीत सिंह ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में कड़े प्रावधान किए गए हैं। इसलिए, इन मामलों में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन मामलों में पीड़ितों के लिए राहत राशि का भी प्रावधान है। उपायुक्त ने कहा कि जिला में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के पीड़ितों को राहत राशि निर्धारित समय अवधि में प्रदान की जा रही है।
इस अवसर पर समिति के गैर सरकारी सदस्यों ने भी विभिन्न मामलों पर अपनी राय रखी। समिति के सदस्य सचिव एवं कार्यकारी जिला कल्याण अधिकारी बलदेव सिंह चंदेल ने विभिन्न मामलों का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया।
बैठक में जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री, एएसपी राजेश कुमार, बड़सर के एसडीपीओ सचिन हीरेमथ, डीएसपी सुनील दत्त ठाकुर और नितिन चौहान, जिला राजस्व अधिकारी जसपाल सिंह, जिला सांख्यिकीय अधिकारी अशोक कुमार, समिति के अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे।