प्रदेश सरकार के प्रयासों से एचआरटीसी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर: मुख्यमंत्री
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार निगम को हर महीने लगभग 60 करोड़ रुपये का अनुदान जारी कर रही है और पिछले दो वर्षों से निगम द्वारा कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन एवं पेंशन के भुगतान सुनिश्चित किए जा रहे हैं। हिमाचल में परिवहन के सीमित साधन हैं इस स्थिति में निगम राज्य की जीवन रेखा की तरह कार्य कर रहा है। प्रतिदिन निगम की बसों के माध्यम से लगभग पांच लाख लोग यात्रा करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक देश का हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार एचआरटीसी को ‘ग्रीन एचआरटीसी’ में बदलने की दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि निगम ग्रीन हिमाचल की परिकल्पना को साकार करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए राज्य के पर्यावरण को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। निगम की डीजल बसों के पूरे बेड़े को ई-बसों से परिवर्तित किया जा रहा है और राज्य सरकार एचआरटीसी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 327 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधाएं प्रदान करने के लिए नए बस अड्डों के निर्माण के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी ने अपनी बसों में कैशलेस भुगतान विकल्प भी शुरू किया है, हिमाचल प्रदेश परिवहन क्षेत्र में ऐसी सुविधाएं प्रदान करने वाला पहला राज्य बन गया है।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों से एचआरटीसी की बसें यात्रियों के लिए आरामदायक सफर और विश्वास का पर्याय बन गई हैं। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी की असली ताकत इसके कर्मचारियों की निपुण कार्यशैली और समर्पण भाव में निहित है, जो दिन-रात अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
बैठक में प्रधान सचिव आरडी नजीम, देवेश कुमार, सचिव डॉ. अभिषेक जैन, राकेश कंवर और मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर, निदेशक परिवहन डीसी नेगी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।