जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के हितों की रक्षा करने में विफल रहे: अनिरूद्ध सिंह

उन्होंने कहा कि भाजपा नेता गलत सूचनाएं और केंद्रीय फंड के कुप्रबंधन के बारे में झूठ फैला रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र हिमाचल के हक का अनुदान रोक रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भाजपा नेताओं की विफलताओं को छिपाने के लिए श्री नड्डा यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस सरकार राम भरोसे काम कर रही है जबकि केंद्र सरकार हिमाचल के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है और भाजपा नेताओं को यह हकीकत नज़र नहीं आ रही है।
उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान राजस्व घाटा अनुदान 10,249 करोड़ रुपये था, जिसे लगातार कम किया जा रहा है। अगले वित्त वर्ष के लिए इसे घटाकर सिर्फ 3,257 करोड़ रुपये कर दिया गया है। जिसका सीधा अर्थ है कि राज्य के विकास के लिए मिलने वाले करीब 7,000 करोड़ रुपये में कटौती की गई है। हिमाचल प्रदेश के हितों के रक्षक बने भाजपा नेताओं को यह बताना चाहिए कि केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल की वित्तीय सहायता में कटौती का क्या कारण है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता वित्तीय कुप्रबंधन की बात करते रहते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि पूर्व की भाजपा सरकार की गलत नीतियों ने राज्य को वित्तीय संकट में धकेला है। उन्होंने कहा कि इन सभी बाधाओं के बावजूद मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है, जिससे किसानों की आर्थिक सुदृढ़ हो रही है। कांग्रेस सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत सेब उत्पादकों के लंबित 153 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया है, जबकि पिछली भाजपा सरकार ने किसानों और बागवानों के हितों की निरंतर अनदेखी की।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रदेश को हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए हिमाचल प्रदेश को कोई मुआवजा नहीं दिया गया, जबकि भाजपा शासित राज्यों को सीधे आपदा राहत मिली। राज्य सरकार ने आपदा प्रभावित परिवारों की मदद के लिए अपने संसाधनों से 4500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया। राज्य सरकार के निरंतर अनुरोध और केंद्रीय टीम की सिफारिशों के बावजूद, अभी तक राज्य को एक पैसा भी जारी नहीं किया गया है। हिमाचल प्रदेश से आने वाले वरिष्ठ मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा केंद्र के समक्ष राज्य के प्रमुख मुद्दों को उठाने में विफल रहे हैं। उन्होंने राज्य के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए कुछ भी नहीं किया और केवल राजनीतिक लाभ के लिए वह प्रदेशवासियों के अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं। अगर वह सही मायनों में प्रदेश का हित चाहते तो वह केंद्र के समक्ष हिमाचल के हितों की पुरजोर वकालत करते। प्रदेश के लोगों को गुमराह करने के बजाय उन्हें यह बताना चाहिए कि केंद्र हिमाचल के राजस्व घाटा अनुदान में कटौती क्यों कर रहा है।