12 साल बाद जौनसार क्षेत्र के समोग के तीन परगनों के सौ गांव से चूड़धार पहुंची 5000 श्रद्धालुओं की जातर

12 साल बाद जौनसार क्षेत्र के समोग के तीन परगनों के सौ गांव से चूड़धार पहुंची 5000 श्रद्धालुओं की जातर

- संगड़ाह
उत्तराखंड के देहरादून जनपद के करीब 3 खतों के 100 के करीब गांव के 5000 के लगभग श्रद्धालु सेमोग गांव के शिरगुल देवता को स्नान करवाने अथवा बारांश परम्परा को निभाने के लिए 12 साल बाद चूड़धार जातर कहलाने वाली यात्रा के लिए पहुंचे। सोमवार सांय करीब 12 हजार फुट ऊंची चूड़धार चोटी पर पंहुचे ऐतिहासिक स्थल कालसी  तहसील के उक्त ग्रामीणों द्वारा मंगलवार सुबह धार्मिक रस्मे पूरी की गई और इसके बाद देवता के साथ लौट गए।

 शिरगुल मंदिर परिसर में केवल एक हजार की करीब लोगों के ठीक से ठहरने की व्यवस्था होने के चलते अधिकतर ग्रामीणों में बैठकर अथवा जागरण कर रात बिताई। इस साल की सबसे बड़ी करीब 5 हजार की इस जातर अथवा जत्थे के चूड़धार पहुंचने के दौरान बारिश भी हुई, जिसकी चलते रात को तापमान 4 डिग्री के आसपास बताया गया। इसके बावजूद बिना सोए रात बिताने वाला कोई भी यात्री बीमार नहीं हुआ और देवता मे आस्था रखने वाले जौन्सारे इसे देवकृपा मान रहे हैं। 

इस दौरान कालसी के ही श्रद्धालु केसर नेगी द्वारा यहां भंडारा दिया गया। गौरतलब है कि बर्फ पिघलने अथवा कपाट खुलने के बाद 6 माह तक चूड़धार मे हर साल आने वाले लाखों श्रद्धालुओं से काफी चढ़ावा भी मिलता है, मगर यहां प्रशासन अथवा हिमाचल सरकार की ओर से रात्री ठहराव के लिए केवल काला बाग मे 3 कमरों का वन विभाग का विश्राम गृह है। 

मंदिर के संचालन का जिम्मा एसडीएम चोपाल देखते है, जबकि, उपमंडल संगड़ाह के क्षेत्राधिकार मे चुड़ेश्वर सेवा समिति संस्था द्वारा लाखों की चंदा राशि से बनाई गई 2 सरांय के लिए भी जानकारी के अनुसार डीसी सिरमौर अथवा बीडीओ संगड़ाह के माध्यम से दशकों पहले विकास मे जनसहयोग के तहत केवल 40,000 का बजट सालों पहले मिला था। 

करीब 8 करोड़ के नौहराधार-चूड़धार सड़क के जमनाला तक के टेंडर अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह द्वारा करवाए जा चुके हैं। चुड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बाबूराम शर्मा ने कहा कि समिति अथवा मंदिर प्रशासन की अपील के अनुसार खराब मौसम को देखते हुए जौंसार की कालसी तहसील के श्रद्धालुओं के जत्थे अथवा जातर ने 2 से 3 हजार लोगों को कम किया और इसके बावजूद 5,000 के करीब लोग यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि सेमोग गांव में स्थित शिरगुल महाराज मंदिर मे तीन खतों के लोग आस्था रखते हैं और हर 12 साल बाद यह यात्रा होती है।